शीर्षक ----
मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
देखो मेरी खट्टी मीठू डायरी मैं सुकून नही श्वेता कुमारी हूँ।
लेकिन पता है तुझे मुझे बड़ा ही डर लगता था की मैं कैसे डायरी लिखूँगी।मैं बहुत डरती हूँ।
हर नये काम को करने से पहले मैंने जब लिखने की शुरुआत की तो यही सोचते रहती थी की क्या लिखूँ कैसे लिखूँ।
सब पढ़ेंगे तो हँसएंगे तो नही यही सोच सोच कर डर जाती थी और फिर खुद ब खुद अपने हाथ को रोक देती थी फिर लिखे कागज को मोड़ चमोर कर फेंक देती थी और सोचती थी।
हे भगवान मैं कैसे लिखूँ जैसे सब लोग लिखते हैं।
अरे ऐसा नही है मुझे न बचपन से ये शौक था कुछ न कुछ लिखने का बस यही बात मैं सोचती रहती थी क्या कभी मैं भी लिख सकती हूँ,
और मैं भी आज लिख लेती हूँ थोड़ी बहुत ही सही ।
अब जैसे भी है लेकिन खुद से लिखना खुद में बड़ी बात है।
और है न ये अपने आप में बहुत बड़ी बातहै मेरी खट्टी मीठू डायरी।
अरे अब कुछ तो बोल दो यूँ ही तुम खामोश रहोगी तो फिर मैं कैसे लिखूँगी।
अच्छा आज तो एक नई शुरुआत है आज इतना ही फिर मिलूंगी
अपने खट्टी मीठू डायरी से अब कल और कल की ख़ट्ठी मीठू बातों के संग।
शुभरात्रि सबको सुकून के तरफ से ख़ट्ठी मीठू वाली।।
सुकून