मेरी खट्टी मीठू डायरी
अरे ख़ट्ठी मीठू डायरी मुझे माफ कर दो बहुत काम था तो व्यस्त हो गई पर तुझे भूली नहीं थी काम और बात से फुर्सत ही नहीं मिली तो तुमसे मिलने नहीं आई पर याद तो आती थी न तुझे न मिलूँ तो दिल को चैन न मिलता है पता नहीं तुझसे क्या रिश्ता जुड़ गया है अब तो दिल सुनता ही नहीं जब से तुझसे बात न हो जाय तब तक दिल को चैन ही नहीं मिलता है।
अच्छा ख़ट्ठी मीठू तुम नाराज तो नही हो न मैं नही आई तो बोलो न।
आज पता है।
जन्मदिन के उत्सव में गई थी बहुत मज़ा आया पता है मैं भी बच्चा बन गई और उनलोगों के साथ बच्चे बनकर मस्ती की
पता है खट्ठी मीठू मैं सोचती हूँ अपने उम्र से बड़ा बन के जीऊं पर दिल सुनता ही नही है वो बस आज भी बच्चों के साथ बच्चे बन जाती हूँ और खूब मज़े करती हूँ।
पता है आज एक लड़की थी सब लड़कों के साथ बैठ कर आ रही थी और उसके साथ सब उसे खूब चिढ़ा रहे थे पर उसे देख कर अच्छा लगा की वो बेफिक्री के साथ सबके साथ बातें कर रही थी उसे कुछ परवाह ही नही था की वो लड़की है मुझे अच्छा लगा पर शायद बड़े होने पर कितना कुछ बदल जाता है न मैं यही उनसब को देख कर यही सोच रही थी।
जो एक साथ खेलते बढ़ते हैं हँसते खेलते फिर उसी के साथ जिंदगी से खिलबाड़ कर जाते हैं न उनपर भी जुल्म होता है की ऑंखें भर जाती है न।
अच्छा ख़ट्ठी मीठू अब थक गई हूँ ऑंखें दुःख रही है आओ चलो सोने चलते हैं अब रात भी हो गई है।
शुभरात्रि ख़ट्ठी मीठू डायरी चलो अब सोने दो वरना ऐसे ही बोलते रह न जाऊं।
शुभरात्रि मेरे पाठकों को भी आप सब भी अगर फुर्सत न हो तो न पढ़ना अगर हो तो पढ़ कर सो जाना अच्छी नींद अच्छे स्वस्थ कैसे हो सोचो सोचो अगर अच्छी नींद न आये तो।
सुकून