मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
लो आ गई लेट लतीफ सुकून अपनी ख़ट्ठी मीठू डायरी से मिलने आ गई न देर ही सही पर आई तो।
अरे ख़ट्ठी मीठू डायरी आज बहुत काम था फिर भी सारे काम निबटा कर भागते हुए आई।
पता है क्यों पूछोगी नही।
अब मुस्कुरा क्यों रही हो तुम मेरी बातों को सुनकर अरे कल भी नही आई न तो मैं डर गई कहीं मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी नाराज न हो जाय मुझसे इसलिए तो आ गई भागते हुए अब तो तुम खुश हो गई न।
आज पता है मेरी माँ एक कहानी सुना रही थी की एक पति था जो पैसे बिजनेस दिखवा में बस जीता था और वो अपने घर में ऐशो आराम की सारी सुविधा थी लेकिन उसकी पत्नी कहती थी आज चलो यहाँ घूम कर आते चलो कहीं तीर्थ यात्रा करते हैं लेकिन वो अपनी पत्नी की बात नही सुनता था बस काम में उलझा रहता था।
समय गुजरता गया एक दिन उसकी पत्नी छोड़ कर चली गई।
वो बेचारा अकेले रह गया न उसका कोई दोस्त था न किसी से उतनी उसकी बनती थी बेटे बहू खुद में व्यस्त वो बेचारा अकेले पत्नी को याद करता था फिर उसे अफ़सोस होता था की खुशियाँ छोड़ कर कभी अपनी पत्नी की खुशियों की परवाह नही किया।
सच्ची में न कहानी अच्छी थी न कितनी सीख छुपी थी न मेरी माँ की कहानी में वो हमसबको सीखा रही थी की देखो अपने और अपने परिवार की खुशियों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए।
सच्ची बात है न ये ख़ट्ठी मीठू डायरी कितने सारे लोगों की होती है ऐसी कहानियाँ न।
अच्छा चलो अब सोते हैं शुभरात्रि मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरीआज बहुत लेट हो गई हूँ।
और मेरे पाठकों को भी शुभरात्रि सुकून की ओर से।