लो आ गई लेट लतीफ सुकून अपनी ख़ट्ठी मीठू डायरी से मिलने।
अब तो मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी खुश है न।
अरे यार पता है कल बहुत व्यस्त थी कल स्कूल में समारोह था
बस उसी में व्यस्त थी फिर पडोसी के यँहा पूजा था घर के काम बस फुर्सत न मिली अपनी ख़ट्ठी मीठू डायरी से मिलने का पता है।
तुझे बहुत याद आ रही थी पर थक गई इतना की वक्त ही नही मिला तुझसे मिलने का।
पता ख़ट्ठी मीठू डायरी कल स्कूल समारोह में बहुत सारी संस्कृती समारोह का लुफ्त उठाये मन ख़ुशी से झूम उठा अपनी संस्कृती को देख कर।
लेकिन पता है मुझे सबसे अच्छी क्या लगी उस समारोह में मेरा मन पता है उस दृश्य को भूल ही नही पाया पता है।
एक बुजुर्ग औरत जो अपने पैरों से लाचार थी चल नही सकती थी लेकिन बच्चों की ख़ुशी देखने से शायद रोक नही पाई।
उनके परिवार वाले उन्हें लेकर आये बड़ा अच्छा लगा नही तो आजकल तो लोग दिखावे में ऐसे खो जाते हैं की अपने बुजुर्ग को ही उपेक्षित कर देते हैं।
शायद हर कोई नही लेकिन अधिकांश देखने को मिलता है पता है ख़ट्ठी मीठू डायरी उनके बेटे ने उस बुजुर्ग महिला के पैरों में उतनी भीड़ में बहुत सारे लोगों के बीच में अपनी माँ के पैरों में चप्पल पहनाई।
वो भी बहुत देर में न गुस्सा न खीझ थी आदर था उनके दिल में वो किसी की परवाह न करके वो अपनी माँ का ख्याल रखा जो मेरे दिल को छू गई सच्ची में।
काश सब अपने बुजुर्ग का सम्मान आदर करें तो कितनी अच्छी बात है न लेकिन हम सब नासमझ उन्हें खुद ही उपेक्षित कर देते हैं।अच्छा ख़ट्ठी मीठू आज बातें ज्यादा हो गई लेकिन क्या करती तुमसे ये बातें न करती तो फिर मेरा दिल भरा भरा सा होता न है।
अच्छा चलो अब सोने चलते हैं रात हो गई है तुम भी थक गई हो और मुझे भी सुबह जल्दी जागना है किते सारे काम करने हैं।
अच्छा चलो शुभरात्रि मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी और मेरे पढ़ने वाले प्यारे प्यारे पाठकों को भी शुभरात्रि सुकून के तरफ से।
सुकून