मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
आज आ गई न तेरी लेट लतीफ सुकून जल्दी अब चलो मुस्कुरा दो।
आज पता है ख़ट्ठी मीठू आज मन उदास है पर क्यों है ये नही पता लेकिन उदास है।
मन भी पल में बदल जाता है कभी उदास हो जाता है।
कभी खिलखिला जाता है कभी रो देता है कभी खुश हो जाता है।
मन को समझना बड़ा ही मुश्किल होते जाता है अरे पता है।
आज न मुझे एक कविता लिखना है पर समझ नही आ रहा है।
कैसे लिखूँ लगता है नही लिख पाऊँगी या न यही तो सोच सोच कर मन।
लगता है शायद इसलिए उदास सा हो गया है।
और ख़ट्ठी मीठू तू बता कैसी है हम तो मज़े में हैं तुम से इतु सारी बातें करके अब तुम कैसी हो ये नही पता।
अब ये तुम ही बता सकती है न तुम्हें कैसा लगता है।
! मुझसे दोस्ती करके अच्छा या बुरा जैसे भी लगते है अब तो तेरा साथ नही छोड़ेंगे।
अब तो ये दोस्ती हम दोनों मिलकर निभाएंगे ही है न ख़ट्ठी मीठू डायरी सही कही न लेट लतीफ सुकून।
अच्छा अब आज बहुत थकी हुई हूँ पता है आज तो ऑंखें नींद से भरी है बस तुम्हें लिख कर बस सो जाऊंगी।
चलो शुभरात्रि मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी चलो अब सोते हैं कल मिलते हैं और हमारे पढ़ने वाले प्यारे प्यारे पाठकों को भी शुभरात्रि
चलो आप भी सो जाना जल्दी सोना जल्दी जागना यही तो कहा है हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं।
सुकून