दिनांक 20 नवंबर 2022
मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
लो मैं आ गई अब खुश हो न लेट लतीफ सुकून से मिलकर
अरे वाह क्यों मुस्कुरा रही हो बोलो न ख़ट्ठी मीठू डायरी
आज पता है कितना लेट उठी थी सोची सबकी छुट्टी तो मैं क्यों करूँ काम मुझे भी तो करनी है आराम से।
अरे आज पता है खट्ठी मीठू कल तुम्हें तो बताया ही नही कल तो अपनी ही बात कर रही थी और वो बात तो कहना भूल गई।
कल सड़क पर सुबह सुबह हम जा रहे थे तभी मेरी नजर एक औरत पर पड़ी वो अपने बच्चे को स्कूल छोड़ने जा रही थी
और उनको देख कर मैं सोची ये क्या है सर पर जब पास गई तो
देखी उनके सर पर कंघी बालों में थी मुझे हंसी जोर की आ गई पर किसी ने देखा नही वरना सब समझते।
अरे सुकून अकेले अकेले इतना मुस्कुरा क्यों रही है फिर सोची बेचारी सुबह सुबह भाग भाग कर काम करती है फिर बच्चों को तैयार करती है अपनी खबर कहाँ रहती है जब तक बच्चे स्कूल न चले जायँ पति ऑफिस न चले जायँ।
बेचारी सबके पीछे भागते रहती है न पता नही किस चीज से बनकर आती है जमीं पर बेटी बनकर अल्हर सी रहती है शादी के बाद लगता है जैसे जिम्मेदारी की दुकान बन जाती है न
अरे खट्ठी मीठू सोच रही होगी आज तो सुकून तो सुकून बड़ी बड़ी बातें कर रही है है न ख़ट्ठी मीठू डायरी पर सच्ची तो बोली न
अच्छा चलो अब मुस्कुरा दो तुम इतनी उदास अच्छी नही लगती हो सुकून यही कह रही होगी न मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी।
अच्छा अब चलो कल मिलते हैं कुछ चटपटी बातों के साथ है न मेरी ख़ट्ठी मीठू डायरी
चलो अब सोते हैं खट्ठी मीठू डायरी कल से काम भी तो है न आज जल्दी सो जाऊंगी तुम भी सो जाना समझी खट्ठी मीठू डायरी।
शुभरात्रि मेरी खट्ठी मीठू डायरी और मेरे पढ़ने वाले प्यारे प्यारे पाठकों को भी शुभरात्रि आप सब भी सो जाना लेट लतीफ सुकून की डायरी पढ़कर।
सुकून