"अवनी ओ अवनी। बेटा उठ जा। ऑफिस नहीं जाना क्या तूने!"
मां,शालू की आवाज़ से अवनी की नींद खुल गयी। वह बुदबुदाकर,"ये मम्मी भी ना। इनको तो मेरी नींद से जैसे दुश्मनी है। (चिल्लाकर)हां मम्मी उठ रही हूँ।"
अवनी उसके बाद बाथरूम में घुस गई और कुछ देर बाद वह तैयार होकर बाहर आयी। तैयार होकर उसने अपना लैपटॉप और गाड़ी की चाबियां लीं और नीचे आ गयी।
शालू--आजा जल्दी से नाश्ता कर ले।तेरा पसंदीदा पोहा बनाया है।
अवनी -- गुड मॉर्निंग मम्मी।वाओ। बहुत भूख लगी है।
इतने में उसके पिता,प्रकाश भी आ गए।
अवनी--गुड मॉर्निंग,पापा।
प्रकाश--गुड मॉर्निंग बेटा। कैसी चल रही है तुम्हारी जॉब?
अवनी-- क्या बताऊँ? बड़ा खड़ूस है,अमर सर।
बातों-बातों में अवनी का नाश्ता खत्म हो गया और वह दोनों को बाय कहकर बाहर आ गयी। उसने गाड़ी स्टार्ट की और ऑफिस के लिए निकल पड़ी।
अवनी माथुर,उम्र 27 वर्ष,पेशा फैशन डिज़ाइनर, दिखने में बहुत खूबसूरत। वह अमर फैशंस में 3 साल से काम कर रही थी।
आधे रास्ते पर कार बन्द हो गयी।
अवनी-- इस कार को क्या हो गया? देखती हूँ।
कार के इंजन से धुआं निकल रहा था।
अवनी-- Dammit,इसको अभी खराब होना था।
अवनी ने मैकेनिक को फ़ोन लगाया लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया। अवनी ने ऑटो किया और ऑफिस पहुंच गई। अब तक 11 बज चुके थे। चपरासी ने कहा,"मैडम,आपको अमर सर ने बुलाया है।
अवनी-- हम्म,आती हूँ।
अवनी ने दरवाज़ा खटखटाया। अमर अंदर ही था जो लगभग 30 साल का था।
अमर-- Come in..
अवनी अंदर चली गयी।
अमर-- आईये आईये मैडम। कुछ मंगवाया जाए आपके लिए। चाय,कॉफ़ी something..
अवनी-- I am sorry,sir..वो मेरी कार खराब हो गयी थी!
अमर-- कोई नई बात नही है आपके लिए ऑफिस लेट आना।(गुस्से में)अभी तक तुमने आने वाले फैशन इवेंट के लिए एक भी डिज़ाइन मुझे नहीं दिया। You are so irresponsible. अब मुझे आज शाम तक सब डिज़ाइन रेडी चाहिये। काम होने से पहले ना कोई लंच न ऑफ। Got it..
अवनी-- Yes sir..
अवनी बाहर आकर गुस्से में डेस्क पर बैठ गयी।
अवनी(बड़बड़ाकर)-- आज का दिन ही खराब है।
उसने मैकेनिक को फ़ोन लगाया। उसने कहा कि गाड़ी अगले दिन मिलेगी। अवनी काम पर लग गयी। काम करते-करते रात के आठ बज गए। अमर अपने केबिन में ही था।
अवनी-- ये लीजिये सर। सब डिज़ाइन। एक बार चेक कर लीजिए।
अमर--हम्म ओके।अब तुम घर जाओ।
अवनी ने पर्स और लैपटॉप लिया और घर चल पड़ी। अब तक 8.30 हो चुके थे। लेकिन क्या करती। ना ऑटो ना ही कोई टैक्सी नज़र आई। फ़ोन की बैटरी भी खत्म थी। काम करने में वह इतनी व्यस्त रही कि फ़ोन चार्ज करना भूल गयी।
अवनी-- इतना बुरा दिन। और ये अमर। इसको तो दिल कर रहा है,कच्चा खा जाऊं। समझता क्या है खुद को।
उसने कई ऑटो रोकने की कोशिश की लेकिन कोई भी नहीं रुका।
अवनी(बुदबुदाते हुए)-- काश ऐसा होता कि मुझे पहले से ही अपने आने वाले कल के बारे में पता चल जाता। हूह लेकिन ऐसा कहाँ होता है।
अवनी आगे बढ़ती जा रही थी कि अचानक उसे एक चमकती हुई चीज़ दिखाई दी।
अवनी-- वो क्या है। देखती हूँ।
अवनी उस चमक के पास गई तो देखा कि झाड़ियों में एक आईना पड़ा था। ये एक हैंड मिरर था। उसने वह हाथ मे ले लिया। जैसे ही उसने अपना अक्स देखा उस आईने में एक कंकाल उभर आया।

अवनी के हाथ से वह आईना गिर गया।
कंकाल बोल उठा,"जो भी मुझमें अपना अक्स देखेगा,मैं उसको उस देखने वाले का भविष्य बताऊंगा।"
अवनी ने डरते हुए वापिस वह आईना उठा लिया।
क्रमशः