अवनी आईना देख कर फिर से घबरा गई और उसके हाथ से वह गिर गया। लेकिन इस बार अवनी ने हिम्मत करके आईना हाथ मे रखने का फैसला किया। उसने आईना उठाया और देखा कि फिर से उसमे कंकाल था।
अवनी-- अब नहीं इससे डरूँगी।
कंकाल बोल उठा,
"अभी तेरी मुलाकात तेरे जीवन के हमसफ़र से होगी,अवनी।"
अवनी ने हैरानी से उसकी ओर देखा और कंकाल ने फिर यही भविष्यवाणी दोहराई।अवनी ने आईना अपने पर्स में रख लिया। तभी तेज़ बारिश शुरू हो गयी। अवनी बुरी तरह भीग गयी। उसने एक शेल्टर देखा और उसके नीचे खड़ी हो गयी।
अवनी (बड़बड़ाकर)-- अब इस सुनसान रास्ते मे बीच सड़क पर मुझे कौन सा जीवनसाथी मिलने वाला है।
तभी एक गाड़ी का हॉर्न उसको सुनाई दिया। वह कार ठीक उसके पास आकर रुकी। ड्राइवर ने शीशा नीचे किया और कहा,"मैडम,आपको जहां जाना है वहां छोड़ दूंगा। ऐसे रात में अकेले बारिश में खड़े रहना ठीक नहीं है।"
अवनी-- न..नहीं आप तकलीफ नहीं कीजिये।
ड्राइवर-- जल्दी आईये।
अवनी कार में बैठ गयी। ड्राइवर ने गाड़ी चला दी।
ड्राइवर-- हाय। मैं सिद्धांत शर्मा। और आप?
अवनी -- अवनी माथुर।
सिद्धान्त-- कहां जाएंगी?
अवनी --बांद्रा वेस्ट।
थोड़ी देर कार में खामोशी रही। अवनी ने सिद्धांत को ध्यान से देखा। दिखने में काफी हैंडसम,लम्बा,हरी आंखों वाला था।
अवनी-- थैंक यू।
सिध्दांत-- इतनी रात को आप अकेले....
अवनी-- मेरी गाड़ी सुबह ही खराब हो गयी थी। अब कल मिलेगी। ऑफिस से निकलने में देर हो गयी और फ़ोन डेड।
सिद्धांत-- कुल मिलाकर दिन खराब?
अवनी (हंसते हुए)-- आप कह सकते हैं। आप नहीं आते तो मैं अभी भी वहीं खड़ी होती।
सिद्धांत भी हंसने लगा। अवनी ने अचानक गाड़ी रोकने को कहा।
सिद्धांत-- क्या हुआ?
अवनी -- मेरे अपार्टमेंट्स आ गए।
सिद्धांत --ओह्ह अच्छा। सॉरी,मुझे लगा..
अवनी -- आपकी कार खराब हो गयी। And thank you so much for help.
सिद्धांत-- My pleasure अवनी जी।
अवनी कार से उतर गई और भाग कर अपने अपार्टमेंट्स में चली गयी। उसको देखते ही शालू तौलिया लेकर आ गयी।
शालू-- क्या हुआ अवनी? तू तो पूरा भीग गयी। फ़ोन कर देती तेरे पापा तुझे लेने आ जाते।
अवनी ने फ़ोन दिखाते हुए कहा,"ये देखो मम्मी,फ़ोन डेड पड़ा है। ऊपर से वो अमर सर ने लेट करवा दिया।इतनी बारिश में ना ऑटो ना टैक्सी। क्या करती?
शालू-- जल्दी से चेंज कर ले वरना बीमार हो जाएगी। मैं तेरे लिए अदरक वाली चाय लाती हूँ।
अवनी अपने कमरे में चली गयी। चेंज करने के बाद चाय पीकर उसने डिनर किया। फिर आराम करने लगी।
अवनी(मन में)-- मैं अपने घर आ गयी और सिद्धांत अपने घर चला गया। ये शीशा भी ना झूठ बोल रहा है। और किसी से तो इस टाइम मुलाकात हुई नहीं।
इन्हीं ख्यालों में वह कब सो गई,उसको पता ही नही चला।
सिद्धांत और अवनी की राहें अलग अलग थी। दोनोँ एक दुसरे के नाम के अलावा कुछ नहीं जानते थे। तो दोनों एक दुसरे के हमसफ़र आखिर कैसे बनेंगे? क्या है इस आईने का राज़?
क्रमशः