भाग - 1
पात्र परिचय -
दास - पुरोहितों का वर्ग जो उच्च कुल से संबंधित है ।
अग्नि वत्स - एक पुरोहित और दास कबीले के प्रमुख व्यक्ति।
बेला- अग्नि वत्स की इकलौती पुत्री।
कनकमंजरी - बेला की सखी।
हंसावली- बेला की सखी ।
दस्यु - दासों के शत्रु ।
दस्यु शक्तिवेग - दस्यु कबीले के प्रमुख व्यक्ति।
मलय - शक्तीवेग का पुत्र।
कर्मसेन- मलय का मित्र।
मृगांकदत्त - एक योद्धा और विद्याधर।
गुरु मूलदेव - मलय के गुरु और एक शिल्पी।
अवधूत - आर्यों का योद्धा वर्ग।
अवधूत - एक आर्य वीर और योद्धा कुल के प्रमुख ।
शिशिर वत्स - आर्य योद्धा और अवधूत के शिष्य।
सेखमेत - मिश्र देश की योद्धाओं की देवी जो मृत्यु के उपरांत जीवन और हीलिंग से संबंधित हैं।
रा - मिश्र के देवता और सेखमेत के पिता।
बास्त - सेखमेत की बहन और बिल्लियों की देवी।
नेफेर - मिश्र का एक व्यापारी।
अखेंटेन - नेफेर का मित्र और एक जहाजी ।
प्रस्तुत कथा भारत की प्रथम पूर्ण नगरीय सभ्यता कही जाने वाली सिंधु घाटी सभ्यता में अस्तित्व में रहे एक नगरीय क्षेत्र राखीगढ़ी पर आधारित एक काल्पनिक कथा है ।