देश के खेवनहार तुम्हारी ऐसी - तैसी करेंगे नैया पार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! डाकू , चोर, लुटेरे , गद्दारों के वंशज बनते इज्जतदार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! प्रजातंत्र के मखमल में पैबंद टाट के कैसे हो सरकार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! खून पसीने से सिंचित भारत का आंगन हो गये दावेदार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! चांदी के बर्तन में खाओ घोटालों की खीर हमको पुड़ी आचार तुम्हारी ऐसी - तैसी !! पांच किलो राशन बांटा जम के फोटू खींच करते रहे प्रचार , तुम्हारी ऐसी - तैसी !! या तो सुधर जाओ या फिर सिधार जाओ खुले नर्क के द्वार तुम्हारी ऐसी- तैसी !! जैल में रहकर भी चरण विजश्री चूम रही ऐसा करते क्या हो यार , तुम्हारी ऐसी-तैसी !! .................................