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भूमिका

22 अक्टूबर 2024

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जय श्री श्याम भक्तों आज आपको इस पुस्तक के अंदर हमारे खाटू श्याम जी के जीवनकाल सभी घटनाओं के बारे में विस्तार पर्वक जानकारी हासिल कराई जाएगी।
खाटूश्यामजी के बाल्यकाल से जवानी तक और तपस्या त्याग और हारे का सहारा बन तक सफर को विस्तार पूर्वक बताया गया है।
किस प्रकार से खाटू श्याम जी खाटू नगरी में विराजमान हुए उसे कहानी को पूर्णरूप से आप सभी के बीच में रख गया है खाटूश्यामजी सरकार पर निशाना यात्रा और कब और कैसे शुरू हुआ इसके बारे में जानकारी प्राप्त होगी यहां पुस्तक सभी खाटूश्यामजी के प्रेमियों के लिए लिखीं गई है। सभी पाठकों को यहां सभी जानकारी एक साथ हासिल हो यहां वहां न खोजना पडे यही हमारा प्रयास है 
नोट गलती से कोई भी वाक्य और कहानी का हिस्सा जीवनकाल में ग़लत लगे तो मैं क्षमा प्रार्थी रहूंगा खाटूश्यामजी सरकार और सभी  खाटूश्यामजी के प्रेमियों से मेरा हाथ जोड़कर अनुरोध है कृपया करके इस पुस्तक को हर एक श्याम जी के भक्त तक पहुंचाना का काम करे ।
धन्यवाद आपका अपना लेखक शायर विजय मलिक अटैला 
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रचनाएँ
बर्बरीक से खाटूश्यामजी बनने का सफर
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इस पुस्तक में श्री खाटूश्यामजी के जीवन एक प्रकाश डालने का काम किया है कुछ अधूरी रह चुकी बातों को पुरा करने कि कोशिश कि है खाटूश्यामजी के जीवनकाल कि घटनाएं और बर्बरीक से खाटूश्यामजी बनने का सफ़र और खाटूश्यामजी मन्दिर निर्माण के विशेष में बताता गया है खाटूश्यामजी के परम भक्त को समर्पित है और एक अपनी टूटीं फुटी क़लम से अपने लखदातार सेठ हारे का सहारा खाटूश्यामजी हमारा के श्री चरणों में समर्पित है जय श्री श्याम 🕉️ श्री श्याम देव नमः लेखक शायर विजय मलिक अटैला
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भूमिका

22 अक्टूबर 2024
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जय श्री श्याम भक्तों आज आपको इस पुस्तक के अंदर हमारे खाटू श्याम जी के जीवनकाल सभी घटनाओं के बारे में विस्तार पर्वक जानकारी हासिल कराई जाएगी।खाटूश्यामजी के बाल्यकाल से जवानी तक और तपस्या त्याग और हारे

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विषय सूची

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• भूमिका • लेखक के विचार • बर्बरीक जी का बाल्यकाल • महाभारत युद्ध • शीशा का दान• पड़ावों को युद्ध कि सच्चाई बताईं • कलयुग में पुजा का वरदान • मन्दिर निर्माण कार्य •

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लेखक के विचार

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सभी खाटू श्याम जी के भक्तों को मैं हाथ जोड़ कर प्रणाम करता हूं इस पुस्तक का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खाटू श्यामजी के जीवन पर प्रकाश डालना है मेरी कलम इतनी शक्ति नहीं मैं तो एक टूटी फूटी कलम से मे

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बर्बरीक जी का बाल्यकाल

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जीवन परिचय=बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा थे। वे घटोत्कच और अहिलावती (नागकन्या माता) के सबसे बड़े पुत्र थे। उनके अन्य भाई अंजनपर्व और मेघवर्ण का उल्लेख भी महाभारत में दिया गया है। बर्बरीक को उनकी म

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महाभारत युद्ध से खाटूश्यामजी नाम तक का सफर

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महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य अपरिहार्य हो गया था, अतः यह समाचार बर्बरीक को प्राप्त हुआ तो उनकी भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जागृत हुई। जब वे अपनी माता से आशीर्वाद प्राप्त करने पह

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महाभारत युद्ध से खाटूश्यामजी नाम तक का सफर

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महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य अपरिहार्य हो गया था, अतः यह समाचार बर्बरीक को प्राप्त हुआ तो उनकी भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जागृत हुई। जब वे अपनी माता से आशीर्वाद प्राप्त करने पह

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महाभारत युद्ध से खाटूश्यामजी नाम तक का सफर

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महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य अपरिहार्य हो गया था, अतः यह समाचार बर्बरीक को प्राप्त हुआ तो उनकी भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जागृत हुई। जब वे अपनी माता से आशीर्वाद प्राप्त करने पह

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महाभारत युद्ध से खाटूश्यामजी नाम तक का सफर

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महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य अपरिहार्य हो गया था, अतः यह समाचार बर्बरीक को प्राप्त हुआ तो उनकी भी युद्ध में सम्मिलित होने की इच्छा जागृत हुई। जब वे अपनी माता से आशीर्वाद प्राप्त करने पह

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पांडवों को युद्ध कि सच्चाई बताईं

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युद्ध की समाप्ति पर पांडवों में ही आपसी बहस होने लगी कि युद्ध में विजय का श्रेय किसको जाता है, इस पर श्रीकृष्ण ने उन्हें सुझाव दिया कि बर्बरीक का शीश सम्पूर्ण युद्ध का साक्षी है, अतएव उससे बेहतर निर्ण

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खाटूश्यामजी को वरदान

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उन्होंने बर्बरीक को समझाया कि युद्ध आरम्भ होने से पहले युद्धभूमि की पूजा के लिए एक वीरवर क्षत्रिए के शीश के दान की आवश्यकता होती है, उन्होंने बर्बरीक को युद्ध में सबसे वीर की उपाधि से अलंकृत किया, अतए

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निशान यात्रा कि आरंभ

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निशान यात्रा निशान यात्रा एक तरह से पदयात्रा होती है, जिसमें भक्त अपने हाथों में श्रीश्याम ध्वज को पकड़कर खाटू श्याम मंदिर तक आते हैं। इस यात्रा को श्रीश्याम ध्वज का निशान भी कहा जाता है। मुख्यत:

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खाटूश्यामजी मन्दिर निर्माण गाथा

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मन्दिर निर्माण बर्बरीक का शीशा मिला था खाटू गांव में संपादन करनाकलियुग शुरू होने के कई साल बाद , सिर वर्तमान राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में दफन पाया गया । कलियुग शुरू होने के काफी बा

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खाटूश्यामजी का पहला भक्त

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खाटूश्यामजी के पहले भक्त रेवाड़ी के रहने वाले श्याम बहादुर अग्रवाल श्री खाटूश्याम के प्रथम परम भक्त थे, जिन्होंने दूर-दूर तक बाबा की महिमा का प्रचार किया. कहा जाता है कि उस वक्त सीकर के राजा ने श

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श्री खाटू श्याम जी स्तुति

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श्याम जी स्तुति हाथ जोड़ विनती करूं सुनियो चित्त लगाए,दास आ गयो शरण मे रखियो इसकी लाज,धन्य ढूंढारो देश है खाटू नगर सुजान,अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण।श्याम श्याम तो मैं रटू श्याम है जी

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खाटूश्यामजी सरकार कि आरती

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खाटूश्यामजी सरकार कि आरती ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥ॐ जय श्री श्याम हरे॥रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े॥ॐ ज

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