shabd-logo

बीतें लम्हें

13 सितम्बर 2024

0 बार देखा गया 0
एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।
यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?
मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचों तों दर्द तों होगा ही।
  तभी अचानक से बिजली गरजने की आवाज कानों में पड़ी। बारिश भी तेज़ धीरे-धीरे रात होने लगी बस फोन लिए और गाना सुनना शुरू किया 
   बरखा रानी जरा जम के बरसों
फटाफट चाय,समोसा बनाया और मौसम का आनंद उठाने लगें।
  तभी पीछे से किसी ने पकड़ा हाय राम हाय!
  अरे भाग्यवान क्या हुआ काहे राग आलाप रही हो,
  इतना सुनते ही जाना में जान आई। धीरे से बोली कुछ नहीं जी वो खो गये थे। अच्छा अच्छा!
  मम्मी ओं मम्मी जरा खाना भी दीजिए देर हो रही है, हां सही हमने तो खा लिया है। सभी ने रात का भोजन किया तभी चर चर की आवाज कानों में पड़ी। कोई साया देखा अजीब सी बात है,
  सुबह हुई तो बगीचे में आग दिखी यह क्या है कहीं तुम दोनों ने तो खेल खेल में कुछ शैतानी की है, बच्चे बोलें नहीं हम तो झूला झूल कर चले गये थें।
  ओह! इक तरफ माली आयें उनसे पूछा यह कौन कर सकता है?
 मालकिन मालूम नहीं।
 अभी साफ किये देता हूं।
एक शंका सी बैढ गयी सुनो जरा जों भी अन्दर मेहमान आयें रजिस्टर में नाम दर्ज किया जायें।
  ढीक है कह कर माली बग़ीचे की साफ सफाई में लग गया।
  कुछ दिन बाद ही पता चला दूर के किसी ख़बर में टोटका किया गया है।
  अब क्या करें समझ आया तभी रोज़ लड़ाई झगडे,मन भारी,तनाव में रहते हैं ओह सही इतना सुनते ही तुरन्त तैयार हो कर निकल गयी।
   बाज़ार से सामान खरीदा,..........
                           अगले अंक में प्रकाशित 
11
रचनाएँ
नीलम द्विवेदी की डायरी "काव्यांजलि"
5.0
" काव्यांजलि "यह पुस्तक विभिन्न मनोभावों को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास है। हमारे माता-पिता एवं मित्रों का बेहतरीन सहयोग प्राप्त हुआ जिस परिणाम स्वरूप हमने मां सरस्वती को ध्यान कर लेखनी को गति प्रदान करने की शुरुआत की है। काव्यांजलि में प्रत्येक पलों को गढ़ने की अनोखी पहल की है आशा करतीं हूं कि हमारे पुस्तक प्रेमियों को नव रचनाकारों की शुरुआत हुई इस लेखनी को अवश्य प्रेरणा मिलती रहेंगी। काव्यांजलि में कोशिश की है कि प्रत्येक रंगों से सराबोर हो कर सभी रसों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया है। हम पुनः शब्द इन के द्वारा चलाए जा रहे यह व्यापक मंच का हार्दिक स्वागत एवं आभार व्यक्त करतें हैं जहां प्रत्येक साहित्य प्रेमी अपनी लेखनी कों आकार देने में समर्थ बनने की पूर्ण कोशिश कर सकतें हैं। रचनाकार ***** नीलम द्विवेदी "नील"***
1

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
2
3
1

जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

2

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
1
2
1

जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

3

शिक्षा पर जागरूकता

2 सितम्बर 2024
1
1
1

शिक्षा पर जितना भी लेख लिखा जायें वह कम हीं है,हर पल नये नये आयामों को गढ़कर नित नित नए प्रयोग सामने आ रहे हैं। अनेकों पहलुओं पर विचार रखें जिससे शिक्षा में उच्च अंक वा पद प्राप्त हों वा वह शिक्ष

4

पोषण

7 सितम्बर 2024
1
2
1

भोजन हमारे दैनिक जीवन में सांस का निरंन्तर स्वस्थ होना ही भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। प्रति पल अनेक ऐसे तथ्य सामने आतें हैं जहां आहार ही दोष वा सर्व सम्पन्न सहित नहीं मिला। अतः दिनच

5

छुट्टी

7 सितम्बर 2024
2
3
2

एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा कि स्कूल में छुट्टी है सच में मज़ा आ गया। मम्मी ओं मम्मी अब स्कूल में छुट्टी होगी कोई चीज है शायद, इतना कहकर बिट्टी भाग गई।यह क्या कह गयी सुन कर मम्मी का माथा ठ

6

मेला

8 सितम्बर 2024
1
2
1

उर्जा दौड़ते हुए आईं और तालियां बजाकर बाकी के बच्चो को भी बुला लाईं और सुनो ना कौन-कौन चलेगा मेला।सभी बच्चे तैयार हो कर अपने अपने घर भाग गयें।शाम का इंतजार होने लग गया अब तों आओ पापा देरी हो रही

7

बीतें लम्हें

13 सितम्बर 2024
0
1
0

एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचो

8

बीतें लम्हें (भाग दो)

13 सितम्बर 2024
0
1
0

दूसरा संस्करण ---- बाज़ार से सामान खरीदा।घर लौटते समय पुराने पड़ोसी मिल गये और उनके घर जाना हुआ। हंसी खेल में ना जाने कब समय व्यतीत हो गया। इधर बच्चों न

9

बीतें लम्हें (भाग तीन)

13 सितम्बर 2024
1
1
1

तीसरा संस्करण --- ईश्वरीय अनुकम्पा से पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात फुहार की तरह वो बातें भी कचोटने लगी किन्तु किया भी क्या जा सकता है, बस यह भूतिया बाधा से मुक्ति की पूजा सदा मां से प्रार्थना

10

भूख

18 सितम्बर 2024
0
1
0

यह बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है आओ चलें वहां से फोटो लेते हैं,अरे जरा सुनना क्या है?कुछ नहीं आज़ तों पूरा दिन थकान हो रही है जब से मध्यप्रदेश आयें हैं एक एक स्थल घ

11

काका ----

19 सितम्बर 2024
0
1
0

अरे नहीं नहीं! मेरा तात्पर्य यह नहीं था। मै नाश्ता लगातीं हूं और बताइये क्या चल रहा है,कुछ नहीं मन बहुत बेचैन है समझ नहीं आता क्या करें? मतलब क्या करें? अरे बहुत दिन हों गये चलों कह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए