एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।
यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?
मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचों तों दर्द तों होगा ही।
तभी अचानक से बिजली गरजने की आवाज कानों में पड़ी। बारिश भी तेज़ धीरे-धीरे रात होने लगी बस फोन लिए और गाना सुनना शुरू किया
बरखा रानी जरा जम के बरसों
फटाफट चाय,समोसा बनाया और मौसम का आनंद उठाने लगें।
तभी पीछे से किसी ने पकड़ा हाय राम हाय!
अरे भाग्यवान क्या हुआ काहे राग आलाप रही हो,
इतना सुनते ही जाना में जान आई। धीरे से बोली कुछ नहीं जी वो खो गये थे। अच्छा अच्छा!
मम्मी ओं मम्मी जरा खाना भी दीजिए देर हो रही है, हां सही हमने तो खा लिया है। सभी ने रात का भोजन किया तभी चर चर की आवाज कानों में पड़ी। कोई साया देखा अजीब सी बात है,
सुबह हुई तो बगीचे में आग दिखी यह क्या है कहीं तुम दोनों ने तो खेल खेल में कुछ शैतानी की है, बच्चे बोलें नहीं हम तो झूला झूल कर चले गये थें।
ओह! इक तरफ माली आयें उनसे पूछा यह कौन कर सकता है?
मालकिन मालूम नहीं।
अभी साफ किये देता हूं।
एक शंका सी बैढ गयी सुनो जरा जों भी अन्दर मेहमान आयें रजिस्टर में नाम दर्ज किया जायें।
ढीक है कह कर माली बग़ीचे की साफ सफाई में लग गया।
कुछ दिन बाद ही पता चला दूर के किसी ख़बर में टोटका किया गया है।
अब क्या करें समझ आया तभी रोज़ लड़ाई झगडे,मन भारी,तनाव में रहते हैं ओह सही इतना सुनते ही तुरन्त तैयार हो कर निकल गयी।
बाज़ार से सामान खरीदा,..........
अगले अंक में प्रकाशित