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शिक्षा पर जागरूकता

2 सितम्बर 2024

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शिक्षा पर जितना भी लेख लिखा जायें वह कम हीं है,हर पल नये नये आयामों को गढ़कर नित नित नए प्रयोग सामने आ रहे हैं। अनेकों पहलुओं पर विचार रखें 

जिससे शिक्षा में उच्च अंक वा पद प्राप्त हों वा वह शिक्षा 

जीवकोपार्जन में सहायक हो।

अनेक लेखों में सभी लेखकों के अपने विचार व्यक्त है 

किंतु सत्यता यही है कि आज़ के नवीनीकरण युग में वही 

शिक्षा पूर्ण रूप से फलित हैं जहां व्यवहारिक रूप में भी 

दिखाई दे। 

कभी कभी आज़ भी ऐसे लोग हैं जो शिक्षा में बाधक बन 

जातें हैं,कि यह एक अजीब सी बात प्रतीत होती है।

आज के सभ्य समाज में महिलाओं एवं पुरुषों को 

बराबरी का दर्जा दिया गया है।

यदि फिर भी यदि कोई भी ऐसा घर हैं जहां सिर्फ एक 

झलक में नकारा जायें तों मानसिक रूप से यह बहुत 

अजीब बात मानी जाती है।

बेटियों को, महिलाओं को पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनाने 

वालीं सभी शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाता रहा है।

समाज में यदि महिला अपने पैरो पर खड़ी रहेंगी तों वह एक मजबूत सशक्त रूप से अपने बच्चों को भी काबिल बना सकतीं हैं, समयावधि में जरूरतें बढ़ती है, ऐसे में पुरुष के सहभागिता में महिला भी घरेलू खर्च में, अन्य कार्यों में धन का योगदान दें कर उस खर्च कों सन्तुलित 

कर सकतीं हैं।

यह शिक्षा कों लगातार पढ़ने से, समझने से उसी शिक्षा को अम्ल में लाने से ही सम्भव है।

एक महिला यदि शिक्षा से योग्यता प्राप्त करतीं हैं तों उसका परिवार भी सम्मान प्राप्त करता है।

इसीलिए कहा गया हैं कि शिक्षा पूर्ण रुप में चमकता सितारा हैं जों प्रत्येक क्षेत्र में योग्यता अनुसार ख्याति प्राप्त 

करता है।

, शिक्षित बनिये सभ्य बनिये 

               नीलम द्विवेदी "
,नील", प्रयागराज उत्तर प्रदेश भारत।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सही लिखा है आपने बहन सच्ची शिक्षा वही है जो व्यवहार में भी दृष्टिगोचर हो पुरुष और स्त्री में भेद को सिरे से खारिज कर समानता का , बराबरी का अधिकार दे आखिर स्त्री से ही पुरुष है स्त्री नहीं तो पुरुष भी नहीं 😊👍👍👍👍🙏

8 सितम्बर 2024

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रचनाएँ
नीलम द्विवेदी की डायरी "काव्यांजलि"
5.0
" काव्यांजलि "यह पुस्तक विभिन्न मनोभावों को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास है। हमारे माता-पिता एवं मित्रों का बेहतरीन सहयोग प्राप्त हुआ जिस परिणाम स्वरूप हमने मां सरस्वती को ध्यान कर लेखनी को गति प्रदान करने की शुरुआत की है। काव्यांजलि में प्रत्येक पलों को गढ़ने की अनोखी पहल की है आशा करतीं हूं कि हमारे पुस्तक प्रेमियों को नव रचनाकारों की शुरुआत हुई इस लेखनी को अवश्य प्रेरणा मिलती रहेंगी। काव्यांजलि में कोशिश की है कि प्रत्येक रंगों से सराबोर हो कर सभी रसों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया है। हम पुनः शब्द इन के द्वारा चलाए जा रहे यह व्यापक मंच का हार्दिक स्वागत एवं आभार व्यक्त करतें हैं जहां प्रत्येक साहित्य प्रेमी अपनी लेखनी कों आकार देने में समर्थ बनने की पूर्ण कोशिश कर सकतें हैं। रचनाकार ***** नीलम द्विवेदी "नील"***
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काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
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जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

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काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
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जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

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शिक्षा पर जागरूकता

2 सितम्बर 2024
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पोषण

7 सितम्बर 2024
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भोजन हमारे दैनिक जीवन में सांस का निरंन्तर स्वस्थ होना ही भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। प्रति पल अनेक ऐसे तथ्य सामने आतें हैं जहां आहार ही दोष वा सर्व सम्पन्न सहित नहीं मिला। अतः दिनच

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छुट्टी

7 सितम्बर 2024
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एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा कि स्कूल में छुट्टी है सच में मज़ा आ गया। मम्मी ओं मम्मी अब स्कूल में छुट्टी होगी कोई चीज है शायद, इतना कहकर बिट्टी भाग गई।यह क्या कह गयी सुन कर मम्मी का माथा ठ

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मेला

8 सितम्बर 2024
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उर्जा दौड़ते हुए आईं और तालियां बजाकर बाकी के बच्चो को भी बुला लाईं और सुनो ना कौन-कौन चलेगा मेला।सभी बच्चे तैयार हो कर अपने अपने घर भाग गयें।शाम का इंतजार होने लग गया अब तों आओ पापा देरी हो रही

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बीतें लम्हें

13 सितम्बर 2024
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एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचो

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बीतें लम्हें (भाग दो)

13 सितम्बर 2024
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दूसरा संस्करण ---- बाज़ार से सामान खरीदा।घर लौटते समय पुराने पड़ोसी मिल गये और उनके घर जाना हुआ। हंसी खेल में ना जाने कब समय व्यतीत हो गया। इधर बच्चों न

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बीतें लम्हें (भाग तीन)

13 सितम्बर 2024
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तीसरा संस्करण --- ईश्वरीय अनुकम्पा से पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात फुहार की तरह वो बातें भी कचोटने लगी किन्तु किया भी क्या जा सकता है, बस यह भूतिया बाधा से मुक्ति की पूजा सदा मां से प्रार्थना

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भूख

18 सितम्बर 2024
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यह बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है आओ चलें वहां से फोटो लेते हैं,अरे जरा सुनना क्या है?कुछ नहीं आज़ तों पूरा दिन थकान हो रही है जब से मध्यप्रदेश आयें हैं एक एक स्थल घ

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काका ----

19 सितम्बर 2024
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अरे नहीं नहीं! मेरा तात्पर्य यह नहीं था। मै नाश्ता लगातीं हूं और बताइये क्या चल रहा है,कुछ नहीं मन बहुत बेचैन है समझ नहीं आता क्या करें? मतलब क्या करें? अरे बहुत दिन हों गये चलों कह

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