भोजन
हमारे दैनिक जीवन में सांस का निरंन्तर स्वस्थ होना ही भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। प्रति पल अनेक ऐसे तथ्य सामने आतें हैं जहां आहार ही दोष वा सर्व सम्पन्न सहित नहीं मिला।
अतः दिनचर्या प्रभावित हैं। अब गुणवत्ता प्रभावित करने वाले खाद्य पदार्थ में सर्व प्रथम बड़ों को यह नादानियों से बचना चाहिए कि वह स्वयं वा आने वाली नयी अंकुरित बीजों में उत्तम गुणों से भरपूर भोज्य पदार्थ कों सम्मिलित करें। जैसे - अंकुरित दालें,चना मूंग,बाजरा, किशमिश,अंजीर, मेथी दाना, जीरा, अजवायन, इत्यादि।
यही नहीं फलों का सेवन भी भरपूर मात्रा में लेना चाहिए, जिनमें मौसम के अनुसार अमरुद,केला, नाशपाती, नींबू, संतरा, पपीता, कीवी,भूटटा,अनार, मुसम्मी,यह तों किताबी बातें या ज्ञान नहीं है यहां हमने उन फलों या अनाज का नाम लिखा है जिसे सभी साधारण वर्ग ख़रीद सकतें हैं एवं प्रयोग से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
यह तों नाम है खाद्य पदार्थ के अब इनमें प्रचुर मात्रा में क्या शरीर को मिलता है वह बताते हैं।
मेथी दाना
जीरा
अजवायन
किशमिश
चना
मूंग
बाजरा
ज्वार
गेहूं
गुण
आमतौर पर उपरोक्त सभी चीजें हर घर में होती है वा निरंन्तर रात में साफ से धोकर पानी में भिगोकर सुबह बासी मुंह खानें से या उबालकर पानी पानी से
लीवर की सफाई होती है।
सूखा खड़ा धनिया को भिगोकर पानी पीने से मूत्र की समस्या में राहत मिलती है जलन खत्म होती है,पेट में ठन्डे पन का अहसास रहता है।
मेथी का पानी पानी से थायराइड,शूगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, ब्लडप्रेशर, निरंन्तर सिथर रहता है।
बस सेवन की मात्रा चिकित्सक से परामर्श के बाद लेनी चाहिए।
अब फलों में पपीता आंवला बथुआ लहसुन इन्हें लेने से टांसिल्स, ख़ून की कमी , विटामिन सी, आंखों में धुंधला पन,यह सही रहता है।
छुवारा, लेने से कब्ज़ ढीक हो जाता है।
सेब खाने से दुर्बलता ढीक होती है वा पेट साफ रहता है, इसमें फाइबर होता है।
शूगर के मरीजों को मेथी दाना का पानी अवश्य लेना चाहिए।एक मौसमी फल, अख़रोट, मूंग फली
दही ( मलाई रहित)
दूध हो सकें तों मखाना वा मुनक्का को उबालकर दूध पीना चाहिए।
यदि मुनक्का सूट नहीं करता तों दूध ही आहार में शामिल करें
सब्जियों को ताजा लें।
जिनमें टमाटर, चुकंदर, प्याज, खीरा ककड़ी,सलाद में लें।
हरि मिर्च खायें।
हार्ट को स्वस्थ रखने में सहायक है।
उपरोक्त सभी में विटामिन ए बी सी डी वा मिनरल्स की प्रचुरता अधिक है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
इसके अलावा योग अवश्य करिये।
वह भी योग्य योगाचार्य के अनुसार ही करें।
हम अपने खान-पान से समझौता करते हैं जों चाहा खा लिया तत्पश्चात अन्य अनेक बिमारियों से ग्रस्त होते रहते हैं और फ़िर नयी नयी समस्याएं पैदा होती है जिनका हल हाल ही बिगाड़ दिया करता है।
पहले समय में वायु दूषित कम या नहीं होता था और बिमारियां होती थी किंतु ढीक जल्द हो जातें थे।
अब धुवां, पानी, वायु सभी में प्रदूषण से बचाव के लिए अनेक विषय में चर्चा होती रहती है।
लेखिका ------- नीलम द्विवेदी "नील"
प्रयाग राज, उत्तर प्रदेश, भारत