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छुट्टी

7 सितम्बर 2024

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  एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा कि स्कूल में छुट्टी है सच में मज़ा आ गया। 
मम्मी ओं मम्मी अब स्कूल में छुट्टी होगी कोई चीज है शायद, इतना कहकर बिट्टी भाग गई।यह क्या कह गयी सुन कर मम्मी का माथा ठनका,अजी सुनते हैं!
नहीं नहीं मैं तों बहरा हूं जन्म से, भाग्य में जब से तुम मिली दिखना भी कम हो गया शाय़द हा हा हा हा 
 अयं क्या मतलब हम क्या हे,अरे कुछ नहीं बस बुढ़ापे में सढियां गयें हैं,
  ओह वो तों हम पहले से ही कह रहे थे तभी हम सोचें कि आजकल बातें किस्से करतें रहते हैं।
  और दोनों पति-पत्नी हंसने लगें।
तभी बाहर से खेलते-खेलते बच्चे आ गये। पापा ने बड़े प्यार से दुलारा, बूंदें गिर रही है शायद बरसात होगी। जानतें हैं हम पर क्या करें?
अरे जाओ ज़रा छत का दरवाजा बंद कर आओ।ठीक है पापा इतना कहकर बेटा चला गया।
फिर मम्मी आईं और बोली कि सुनो बच्चों आज-कल त्यौहार शुरू हैं सीखों हमारी संस्कृति संस्कार उपजते हैं तभी तो हमें ज्ञान होगा।यह रीति रिवाजों से ही अपने संस्कार बढ़ते हैं। कल कृष्ण जन्माष्टमी पर्व शुरू हैं,कई जगहों पर बहुत समय तक मनातें है, जैसे नागपंचमी बीता है ना, रक्षाबंधन पर्व बीता अब जन्म अष्टमी मनाया जायेगा।कंस मामा का वध किया था कृष्ण ने सभी कों सताता था।अपनी ही बहन को जेल में बंद कर रखा था। अच्छा हां बेटा कई बार तों कालिया नाग की भी कहानी है। मम्मी सुनायें ना कहानी।
   बस मम्मी भी होशियार बच्चों कों दादा जी दादी के पास कहानी सुनने कों छोड़ आई।
अगले सुबह बच्चों ने दैनिक कार्यक्रम किया तत्पश्चात पूजा अर्चन वंदन किया एवं ख़ुशी ख़ुशी पापा मम्मी बच्चों को साथ लेकर स्थानीय मेला मीडिया को बताते हुए बहुत ही उत्साहित होकर पूरी जानकारी दे
ने लगें। 

        लेखिका ----- नीलम द्विवेदी "नील"
               उत्तर प्रदेश, भारत।
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बिल्कुल सजीवता पूर्ण रचना है आपकी👌👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

8 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत और मजेदार लिखा है आपने बहन 😊 परिवार की मीठे वार्तालाप, हास्य, त्योहार के विषय में सब कुल मिलाकर बहुत सटीक लिखा है आपने 😊🙏

8 सितम्बर 2024

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रचनाएँ
नीलम द्विवेदी की डायरी "काव्यांजलि"
5.0
" काव्यांजलि "यह पुस्तक विभिन्न मनोभावों को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास है। हमारे माता-पिता एवं मित्रों का बेहतरीन सहयोग प्राप्त हुआ जिस परिणाम स्वरूप हमने मां सरस्वती को ध्यान कर लेखनी को गति प्रदान करने की शुरुआत की है। काव्यांजलि में प्रत्येक पलों को गढ़ने की अनोखी पहल की है आशा करतीं हूं कि हमारे पुस्तक प्रेमियों को नव रचनाकारों की शुरुआत हुई इस लेखनी को अवश्य प्रेरणा मिलती रहेंगी। काव्यांजलि में कोशिश की है कि प्रत्येक रंगों से सराबोर हो कर सभी रसों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया है। हम पुनः शब्द इन के द्वारा चलाए जा रहे यह व्यापक मंच का हार्दिक स्वागत एवं आभार व्यक्त करतें हैं जहां प्रत्येक साहित्य प्रेमी अपनी लेखनी कों आकार देने में समर्थ बनने की पूर्ण कोशिश कर सकतें हैं। रचनाकार ***** नीलम द्विवेदी "नील"***
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काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
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जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

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2 सितम्बर 2024
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शिक्षा पर जागरूकता

2 सितम्बर 2024
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शिक्षा पर जितना भी लेख लिखा जायें वह कम हीं है,हर पल नये नये आयामों को गढ़कर नित नित नए प्रयोग सामने आ रहे हैं। अनेकों पहलुओं पर विचार रखें जिससे शिक्षा में उच्च अंक वा पद प्राप्त हों वा वह शिक्ष

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पोषण

7 सितम्बर 2024
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भोजन हमारे दैनिक जीवन में सांस का निरंन्तर स्वस्थ होना ही भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। प्रति पल अनेक ऐसे तथ्य सामने आतें हैं जहां आहार ही दोष वा सर्व सम्पन्न सहित नहीं मिला। अतः दिनच

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छुट्टी

7 सितम्बर 2024
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मेला

8 सितम्बर 2024
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उर्जा दौड़ते हुए आईं और तालियां बजाकर बाकी के बच्चो को भी बुला लाईं और सुनो ना कौन-कौन चलेगा मेला।सभी बच्चे तैयार हो कर अपने अपने घर भाग गयें।शाम का इंतजार होने लग गया अब तों आओ पापा देरी हो रही

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बीतें लम्हें

13 सितम्बर 2024
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एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचो

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बीतें लम्हें (भाग दो)

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दूसरा संस्करण ---- बाज़ार से सामान खरीदा।घर लौटते समय पुराने पड़ोसी मिल गये और उनके घर जाना हुआ। हंसी खेल में ना जाने कब समय व्यतीत हो गया। इधर बच्चों न

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बीतें लम्हें (भाग तीन)

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तीसरा संस्करण --- ईश्वरीय अनुकम्पा से पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात फुहार की तरह वो बातें भी कचोटने लगी किन्तु किया भी क्या जा सकता है, बस यह भूतिया बाधा से मुक्ति की पूजा सदा मां से प्रार्थना

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भूख

18 सितम्बर 2024
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यह बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है आओ चलें वहां से फोटो लेते हैं,अरे जरा सुनना क्या है?कुछ नहीं आज़ तों पूरा दिन थकान हो रही है जब से मध्यप्रदेश आयें हैं एक एक स्थल घ

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19 सितम्बर 2024
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अरे नहीं नहीं! मेरा तात्पर्य यह नहीं था। मै नाश्ता लगातीं हूं और बताइये क्या चल रहा है,कुछ नहीं मन बहुत बेचैन है समझ नहीं आता क्या करें? मतलब क्या करें? अरे बहुत दिन हों गये चलों कह

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