shabd-logo

बीतें लम्हें (भाग तीन)

13 सितम्बर 2024

3 बार देखा गया 3
तीसरा संस्करण ---
  ईश्वरीय अनुकम्पा से पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात फुहार की तरह वो बातें भी कचोटने लगी किन्तु किया भी क्या जा सकता है, बस यह भूतिया बाधा से मुक्ति की पूजा सदा मां से प्रार्थना करतीं हूं कि प्रत्येक आतमायें जों भी अभी भी मुक्ति नहीं पायी हों उन्हें उनके ही स्थान पर जाने को बाध्य करें यह कोई डर पैदा करने या किसी भी प्रकार की अफ़वाह नहीं है यथार्थ है बस जों भी अनुभव जिनके पास घटित हुआ होता है वहीं जान सकते हैं।
हम तों इतना ही जानते है कि यदि देवता हैं तो राक्षस भी है, यदि जिवित है तों मृत आत्माएं भी तृप्त की तलाश में कोई ना कोई जगह या व्यक्ति चुनती है इसलिए हमेशा बाहर से आने पर हम सभी हाथ पैर धोकर ही घर में अन्य कार्यों में लिप्त होते हैं।
  ख़ैर अब तक तो सभी कुछ ठीक ही चला।
  पूजा अर्चन वंदन करने से घर वा स्वयं में एक आ
आ लौकिक भाव जन्म लेता है खोई हुई शक्ति जागृत होती है।
एकाग्रता, चैतन्यता का उदगम होता है स्वयं ही हर वह व्यक्ति सभी प्रकार से उन्नति करना चाहने लगता है, यदि वैज्ञानिक रुप से भी इस बात को समझें तों भी एक औरा उस व्यक्ति के चारों ओर घिरने लगता है जों अपने दैनिक जीवन में सूर्य से पहले उठते हैं, मन्त्रों का उच्चारण करते हैं,योग करतें हैं,कुछ परहेज़ जों ग्रन्थों में बतायें गये है, चाहें धर्म कोई भी हों नियम बनाए और सुचारू रूप से व्यवहार में उतारिये, फिर देखें कि ज़िंदगी खूबसूरत होने लगेगी।
  हम स्वयं कों ही बहुत कठिन परिस्थितियों में ऐसे ही निकल कर जीवित है।
  अपने बच्चों कों भी सीखने कों प्रेरित करतें हैं किंतु ज़ोर नहीं डालते क्योंकि जब स्वयं कि इच्छा ईश्वर में विश्वास पैदा करेंगी तभी मन पूजा में लगेगा हमारे या अन्य किसी के भी कहने का प्रभाव कुछ पल का होता है यह तों मन से बैठे हुए भी मौन जाप चलता रहता है,हम कब जाप करें यहां यह भी प्रश्न है क्योंकि महिलाओं को तों मानसिक वा शारीरिक रूप से कुछ समय वर्जित है, उसके अलावा पूरे समर्पण भाव से पति वा बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य वा उन्नति, दीर्घ आयु के लिए प्रार्थना प्रभु से करिये।
  आगे यही नहीं आज-कल की शैक्षिक योग्यता अनुसार ही अन्य योग्यता जों हममें नहीं है बस वही सीखनें का प्रयास कर रहे हैं।
   यही जीवन मंत्र है ॐ जों चिरकाल से अनंत ब्रम्हांड में गुंजायमान हैं ,हर कोई अपने अपने ईष्ट कों अनेकों नाम से पूजते हैं।
फिलहाल नाम चाहें जों जपें कल्याण का भाव भी होना चाहिए।
  भला किसी का कर ना सकें तों बुरा किसी का मत करना 
पुष्प यदि नहीं बन सकतें हैं तों कांटे बनकर मत रहना 
    यही भावनाओं को विकसित करने का सतत् प्रयास करने का भाव जगाना होगा।
  लेखिका ------ नीलम द्विवेदी" नील" ।
     प्रयाग राज, उत्तर प्रदेश, भारत।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊🙏

14 सितम्बर 2024

1

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
1
2
1

जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

2

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
1
2
1

जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

3

शिक्षा पर जागरूकता

2 सितम्बर 2024
1
1
1

शिक्षा पर जितना भी लेख लिखा जायें वह कम हीं है,हर पल नये नये आयामों को गढ़कर नित नित नए प्रयोग सामने आ रहे हैं। अनेकों पहलुओं पर विचार रखें जिससे शिक्षा में उच्च अंक वा पद प्राप्त हों वा वह शिक्ष

4

पोषण

7 सितम्बर 2024
1
2
1

भोजन हमारे दैनिक जीवन में सांस का निरंन्तर स्वस्थ होना ही भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। प्रति पल अनेक ऐसे तथ्य सामने आतें हैं जहां आहार ही दोष वा सर्व सम्पन्न सहित नहीं मिला। अतः दिनच

5

छुट्टी

7 सितम्बर 2024
2
3
2

एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा कि स्कूल में छुट्टी है सच में मज़ा आ गया। मम्मी ओं मम्मी अब स्कूल में छुट्टी होगी कोई चीज है शायद, इतना कहकर बिट्टी भाग गई।यह क्या कह गयी सुन कर मम्मी का माथा ठ

6

मेला

8 सितम्बर 2024
1
2
1

उर्जा दौड़ते हुए आईं और तालियां बजाकर बाकी के बच्चो को भी बुला लाईं और सुनो ना कौन-कौन चलेगा मेला।सभी बच्चे तैयार हो कर अपने अपने घर भाग गयें।शाम का इंतजार होने लग गया अब तों आओ पापा देरी हो रही

7

बीतें लम्हें

13 सितम्बर 2024
0
1
0

एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचो

8

बीतें लम्हें (भाग दो)

13 सितम्बर 2024
0
1
0

दूसरा संस्करण ---- बाज़ार से सामान खरीदा।घर लौटते समय पुराने पड़ोसी मिल गये और उनके घर जाना हुआ। हंसी खेल में ना जाने कब समय व्यतीत हो गया। इधर बच्चों न

9

बीतें लम्हें (भाग तीन)

13 सितम्बर 2024
1
1
1

तीसरा संस्करण --- ईश्वरीय अनुकम्पा से पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात फुहार की तरह वो बातें भी कचोटने लगी किन्तु किया भी क्या जा सकता है, बस यह भूतिया बाधा से मुक्ति की पूजा सदा मां से प्रार्थना

10

भूख

18 सितम्बर 2024
0
1
0

यह बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है आओ चलें वहां से फोटो लेते हैं,अरे जरा सुनना क्या है?कुछ नहीं आज़ तों पूरा दिन थकान हो रही है जब से मध्यप्रदेश आयें हैं एक एक स्थल घ

11

काका ----

19 सितम्बर 2024
0
1
0

अरे नहीं नहीं! मेरा तात्पर्य यह नहीं था। मै नाश्ता लगातीं हूं और बताइये क्या चल रहा है,कुछ नहीं मन बहुत बेचैन है समझ नहीं आता क्या करें? मतलब क्या करें? अरे बहुत दिन हों गये चलों कह

---

किताब पढ़िए