shabd-logo

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024

3 बार देखा गया 3
जीवन की सरिता में 
बहती हुयी इक कोमलता 
चिन्तित सदा ना हो 
दूषित कल्पित मृदु 
भाषाएं निर्मल सदा
छण छण स्वर 
निरझरता लायें 
कल कल की ध्वनि 
निरंन्तर चकाचौंध 
से प्रतिभूति करायें 
यह वेंग सी सनसन 
निर्झर अकुलाये 
नदियां बहतीं ज्यों 
सदैव कलुषित हटायें 
बह बह कर धारा 
जब जब पत्थरों पर 
भव लहरायें मेघ 
हर्षायें अम्बर भी 
लजायें सज जायें 
अविचलित निष्कंटक 
दिया हर राह में 
प्रकाशित कर आयें 
       मौलिक रचना --- रचनाकार - नीलम द्विवेदी "नील"
                    उत्तर प्रदेश, भारत।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

वाह........बेहद प्रशंसनीय भाव अति सुन्दर, बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊🙏 कृपया कचोटती तन्हाइयां पढ़कर सभी भागों पर अपना लाइक और रिव्यू देकर आभारी करें 😊😊😊🙏

8 सितम्बर 2024

1

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
1
2
1

जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

2

काव्यांजलि

2 सितम्बर 2024
1
2
1

जीवन की सरिता में बहती हुयी इक कोमलता चिन्तित सदा ना हो दूषित कल्पित मृदु भाषाएं निर्मल सदाछण छण स्वर निरझरता लायें कल कल की ध्वनि निरंन्तर चकाचौंध से प्रतिभूति

3

शिक्षा पर जागरूकता

2 सितम्बर 2024
1
1
1

शिक्षा पर जितना भी लेख लिखा जायें वह कम हीं है,हर पल नये नये आयामों को गढ़कर नित नित नए प्रयोग सामने आ रहे हैं। अनेकों पहलुओं पर विचार रखें जिससे शिक्षा में उच्च अंक वा पद प्राप्त हों वा वह शिक्ष

4

पोषण

7 सितम्बर 2024
1
2
1

भोजन हमारे दैनिक जीवन में सांस का निरंन्तर स्वस्थ होना ही भोजन की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। प्रति पल अनेक ऐसे तथ्य सामने आतें हैं जहां आहार ही दोष वा सर्व सम्पन्न सहित नहीं मिला। अतः दिनच

5

छुट्टी

7 सितम्बर 2024
2
3
2

एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा कि स्कूल में छुट्टी है सच में मज़ा आ गया। मम्मी ओं मम्मी अब स्कूल में छुट्टी होगी कोई चीज है शायद, इतना कहकर बिट्टी भाग गई।यह क्या कह गयी सुन कर मम्मी का माथा ठ

6

मेला

8 सितम्बर 2024
1
2
1

उर्जा दौड़ते हुए आईं और तालियां बजाकर बाकी के बच्चो को भी बुला लाईं और सुनो ना कौन-कौन चलेगा मेला।सभी बच्चे तैयार हो कर अपने अपने घर भाग गयें।शाम का इंतजार होने लग गया अब तों आओ पापा देरी हो रही

7

बीतें लम्हें

13 सितम्बर 2024
0
1
0

एक साल अचानक ही दर्द हुआ हाथ सुन्न हो गया।यह क्या हों गया हे भगवान अभी कुछ दिन पहले ही तो बुखार से पीड़ित हुए थे तभी बच्चों ने शोर मचाया,आंख खुली तो मैंने देखा यह क्या?मैं तो ढीक हूं और उंट पटांग सोचो

8

बीतें लम्हें (भाग दो)

13 सितम्बर 2024
0
1
0

दूसरा संस्करण ---- बाज़ार से सामान खरीदा।घर लौटते समय पुराने पड़ोसी मिल गये और उनके घर जाना हुआ। हंसी खेल में ना जाने कब समय व्यतीत हो गया। इधर बच्चों न

9

बीतें लम्हें (भाग तीन)

13 सितम्बर 2024
1
1
1

तीसरा संस्करण --- ईश्वरीय अनुकम्पा से पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात फुहार की तरह वो बातें भी कचोटने लगी किन्तु किया भी क्या जा सकता है, बस यह भूतिया बाधा से मुक्ति की पूजा सदा मां से प्रार्थना

10

भूख

18 सितम्बर 2024
0
1
0

यह बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है आओ चलें वहां से फोटो लेते हैं,अरे जरा सुनना क्या है?कुछ नहीं आज़ तों पूरा दिन थकान हो रही है जब से मध्यप्रदेश आयें हैं एक एक स्थल घ

11

काका ----

19 सितम्बर 2024
0
1
0

अरे नहीं नहीं! मेरा तात्पर्य यह नहीं था। मै नाश्ता लगातीं हूं और बताइये क्या चल रहा है,कुछ नहीं मन बहुत बेचैन है समझ नहीं आता क्या करें? मतलब क्या करें? अरे बहुत दिन हों गये चलों कह

---

किताब पढ़िए