यह बहुत सुंदर दृश्य दिखाई दे रहा है आओ चलें वहां से फोटो लेते हैं,अरे जरा सुनना क्या है?
कुछ नहीं आज़ तों पूरा दिन थकान हो रही है जब से मध्यप्रदेश आयें हैं एक एक स्थल घूमते हुए, हैं न!
मम्मी मम्मी - क्या है बेटा
बहुत भूख लग रही है।
चलिये ना उधर कहीं कोई रेस्तरां देखते हैं।
सभी पहुंचे और आर्डर कर दिया, हंसते मुस्कुराते हुए सफ़र अच्छा बीत रहा था।
तभी नज़र में कुछ शरारती बच्चे दिखें सभी खाने की तरफ़ देख रहें थें।
उनमें से एक ने कहा कि हमें भी ख़ाना लें आओ।
वेटर ने डांट कर भगा दिया। मुंह फुलाकर बैठ गयें सभी यह क्या है?
मैंने जाकर सभी कों ख़ाना खिलाया और हालात जानना चाहा।
इधर-उधर मत झांको।
बताओं क्या बात है?
सबसे छोटे ने कहा यहां हर साल दूर दूर से टूरिस्ट आतें हैं,यह सभी बच्चे उन्हें गाइड़ करतें हैं और मोटी रकम कमातें है।
सभी ने फिर मुंह खोलना शुरू किया।
बारी बारी से पूरी जानकारी देते गये।
तों परेशान कौन है, सभी को मानो सांप सूंघ गया।
आधे भाग गयें फिर एक ने कहा कि पूरी कमाई अवैध बता कर वो आता है और छीन कर चला जाता है।
अब भूखे कब तक रहें।
घरों का भी अधिकतर यही हाल है।
मेहनत का पैसा नहीं नसीब है।
आमदनी तों पूरे-पूरे वर्ष बहुत होती है किन्तु सभी कों उसका भत्ता नहीं मिला।
मैंने उत्सुकतावश पूछा कि क्यों?
बच्चों ने मासुमियत से हैरान करने वाला उत्तर दिया कि शायद उनकी भूख ज्यादा है......
लेखिका ---- नीलम द्विवेदी "नील"
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,