माँ...
माँ तेरे होने से मंदिर सा घर लगता है तुम नहीं माँ तो कोने कोने मे डर लगता है|
माँ ही गुरु, माँ ही पथ प्रदर्श्क, माँ ही मित्र है, तभी तो अंकित मेरे ह्रदय में ईश्वर रूपी माँ का चित्र है|
माँ की ममता से बड़कर कोई उपहार नहीं जग मे, माँ के आशीर्वाद की नेमत बहा करती रग रग में|
माँ बाचाकरती बच्चों के लिए दिन रात शगुन माँ में हर मौषम जेठ अषाढ़ फागुन|
माँ के होने से हर दिन उत्सव सा रंग रंगीला है, में सोई सूखे में माँ का बिस्तर गिला है|
माँ के होने से तुलसी चौरे पर दीपक जलता है...
माँ अच्छे अचार विचार सिखाती, माँ अपने बच्चों को सदमार्ग दिखाती माँ ने मेरे लिए पुनर्जन्म लिया है जनम मुझे देकर अहसान किया है|
उसका कर्ज कभी ना उतार पाऊँगी| मात पिता से बढ़कर ना कोई पालनहार पाऊँगी|
जो अपने बच्चों पर रखते नित विश्वाश वो बच्चे धन्य मात पिता जिनके पास| रखेगा कौन बच्चों का धयान ईश्वर के मन में आया शायद, इसी कारण प्रभु ने माँ को धरती पर भिजवाया माँ के होने से आगाँन फूलों सा महकता है...!!!