तितली होती...
बेटियाँ बिन पंखों वाली तितली होती है, बेटियाँ अम्बर मे ज्यों बिजली होती है|
बेटियाँ चांदनी के जैसे बिखरती है, बेटियाँ भोर की किरण सी चमकती है|
बेटियाँ दर्पण देख देख सवरती है, बेटियाँ सूने आंगन मे पाजेब सी खनख़ती है| वे अपने आंगन की कली होती है|
बेटियाँ फूलो मे अमलतास होती है, बेटियाँ सुख दुःख मे आसपास होती है|
बेटियाँ हर रिश्ते मे ख़ास होती है, बेटियाँ दो कुलो का ऊजास होती है|
बेटियाँ शहद ओर मिसिरी की डली होती है|
बेटियाँ आँखों का नूर होती है, बेटियाँ परिवार का गरूर होती है|
बेटियाँ सीप मे ज्यों मोती होती है, बेटियाँ माँ पिता की ज्योति होती है, बेटियाँ हर रंग रूप मे ढली होती है|
जनम दो इन्हे धरती पर आने दो इन्हे तुम्हे खुशीया अपार देगी...!!!