बोलै नहीं तो गुस्सा मरै
*एक घर में स्त्री पुरुष दो ही आदमी थे और दोनों आपस में नित्य ही लड़ा करते थे । एक दिन उस स्त्री ने अपनी पड़ोसन के पास जाकर कहा ---- बहन! मेरे स्वामी का मिजाज बहुत चिडचिडा है , वे जब - तक मुझसे लड़ते ही रहते हैं और इस तरह हमारी बनी बनाई रसोई बेकार चली जाती है।*
*पड़ोसन ने कहा --- अरे ,,, इसमें कौन सी बात है ,,,, मेरे पास एक ऐसी अचूक दवा है कि जब तुम्हारे पति तुमसे लड़े, तब तुम उस दवा को अपने मुंह में भर रखा करो ; बस ,,,, वे तुरंत चुप हो जाएंगे।*
*पड़ोसन ने शीशी भर के दवा दे दी । उस स्त्री ने दो तीन बार पति के क्रोध के समय दवा की परीक्षा की और उसे बड़ी सफलता मिली । अब तो उसने खुशी-खुशी जाकर पड़ोसिन से कहा ----- बहन ,,,, तुम्हारी दवा तो बड़ी कारगर है । उसमें क्या-क्या चीजें पड़ती है , बता दो तो मैं भी बना रखूं ।*
*पड़ोसन ने हंसकर कहा ----- बहन ,,, शीशी में साफ जल के सिवा और कुछ भी नहीं था। काम तो तुम्हारे मौन ने किया। मुंह में पानी भरा रहने से तुम बदले में बोल नहीं सकी और तुम्हें शांत पाकर उनका भी क्रोध जाता रहा । बस ,,,,*
*एक मौन सब दुख हरै, बोलै नहीं तो गुस्सा मरै ।*