shabd-logo

बताओ मोदीजी हमारा कसूर क्या था ?

2 जनवरी 2018

253 बार देखा गया 253
featured imageदुनिया का सबसे बड़ा बोझ होता है बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा (अर्थी). जिस औलाद को जरा सा दुःख होने पर बाप की अंतरात्मा चीख उठती है, उसी बेटे को जब मुखाग्नि देनी पड़ती है तब देखने वालों का कलेजा भी मुहं को आ जाता है. बेटे की ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाने वाला बाप जब उसी बेटे के जनाजे को कंधे पर लेकर चलता है तब पत्थर दिल भी रो उठते हैं. बड़ी तकलीफ होती है जब उसी बेटे को कंधा देना पड़े जिसके कन्धों पर अपने बुढ़ापे का बोझ रखना होता है. एक माँ ९ महीने अपने खून से बेटे को सींचती है तब जाकर एक बीज एक पौधा बनता है और उस पौधे को एक बाप अपने मजबूत कंधों का सहारा देकर और एक माँ अपनी ममता की खाद देकर एक वृक्ष बनाते हैं, ताकि जब बुढ़ापे की धुप तेज होने लगे तब उस वृक्ष की छाया में बैठा जा सके. लेकिन जब वो वृक्ष असमय टूट जाता है और बुढ़ापे की धुप तेज हो तब उसकी लकड़ियाँ (अस्थियाँ) चुनना दुनिया का सबसे बड़ा बोझ मालूम होता है. जब बेटा रात को बिस्तर गीला कर देता है तब माँ उसके गीले बिस्तर पर सो जाती है और उसे सूखे बिस्तर पर सुला देती है, दिन-भर काम करके थकी-मंदी माँ रात को बार-बार हाथ फिराकर ये देखना नहीं भूलती कि कहीं उसका लाल गीले बिस्तर पर तो नहीं लेटा है. वो करवट भी नहीं बदलती क्योंकि उसे डर रहता है कि कहीं ऐसा न हो कि उसका बेटा नींद में उसका दूध ढूंढे और वो उसको न मिले. अपने जिगर के टुकड़े को सीने से चिपकाये वो इसी आशा में सोती रहती है कि जब ये बड़ा होगा तब उसका सहारा बनेगा. एक बाप अपनी औलाद को ऊँगली पकड़कर चलना इसलिए सिखाता है क्योंकि उसे आशा होती है कि कभी ये मेरी लाठी बनकर मुझे सहारा देगा, लेकिन दिल रो उठता है जब उस बेटे की अर्थी के लिए बांस लाने पड़ते हैं. जिस बेटे को गोदी में लिया हो जब उसे चिता की अग्नि में समर्पित करना पड़े तो उस दर्द को शब्दों में बयाँ करना शायद बड़े से बड़े साहित्यकार के बस में भी नहीं हो सकता. जिसे लंगोट पहनना सिखाया हो जब उसे कफन में लपेटना पड़ता है तब आसमान भी रो उठता है. जिस बेटे के जरा सी खरोंच आने पर जो बाप परेशां हो जाता है, जब उसी बेटे की कपाल-क्रिया बाप को अपने ही हाथों से करनी पडती है तब धरती भी चीख उठती है. औलाद न हो तो दुःख होता है, होकर मर जाये तब बहुत दुःख होता है लेकिन जब जवान औलाद अपनी आँखों के सामने दम तोड़ दे तब दुखों का पहाड़ टूट जाता है. उस दुःख को दुनिया का कोई विद्वान्, ज्ञान ी, संत-महात्मा बर्दाश्त नहीं कर सकता. सीमा पर अपने देश के लिए शहीद होने वाला जवान, उस शहीद जवान के माँ-बाप, भाई-बहन, उसकी पत्नी, उसके बच्चे कम से कम सांत्वना और सम्मान के दो शब्दों के तो हकदार हैं ही. लेकिन आदरनीय ५६ इंच के सीने के तथाकथित मालिक, हिंदुस्तान के वजीरे आज़म, झोली उठाये फिरने वाले कथित फ़कीर, जनाब मोदी साहब, आपका दुर्भाग्य है कि न तो आपको औलाद की ऊँगली पकड़ने का सौभाग्य मिला और न ही अपने लख्ते जिगर को अपनी मातृभूमि पर कुर्बान करने का गौरव आपको हासिल है. एक सौ बत्तीस करोड़ हिन्दुस्तानी आपसे ये जानने का हक रखता है कि आखिर कब तक हमारे जवान यूँ ही गोलियां खाते रहेंगे, आखिर कब तक एक बाप अपने जवान बेटे की अर्थी को कंधा देता रहेगा, आखिर कब तक माओं की गोद उजडती रहेंगी, आखिर कब तक जवान बहुएं अपनी चूड़ियाँ तोडती रहेंगी, कब तक नन्हें-मासूम अनाथ होते रहेंगे और कब तक भारत माँ अपने वीर सपूतों की चिताओं को सजाती रहेगी, कब तक गंगा माँ अपनी गोद में वीर सपूतों की अस्थियाँ संजोये रखेगी, कब तक आखिर कब तक? श्रीमती इंदिरा गाँधी एक महिला थीं, लाल बहादुर शास्त्री एक बहुत छोटे से कद के नेता थे. लेकिन जनाब मोदी साहब, वजीरे आजम साहब, आप न तो महिला हैं, न आपका छोटा कद है और माशाल्लाह आपका तो सीना भी 56 इंच का है. कभी आईने के सामने खड़े होकर अपने आप से ये सवाल जरुर पूछना कि कयामत के रोज जब आपसे इन शहीदों की बेवायें और बच्चे आपसे ये पूछेंगे कि बताओ मोदीजी हमारा कसूर क्या था? तब आप किस मुहं से उनके मासूम सवालों का जवाब देंगे या फिर झोला उठाकर चल देंगे?

मनोज चतुर्वेदी शास्त्री की अन्य किताबें

Md ekram hazam

Md ekram hazam

Bhut sundar गजब क। शायरी

3 जनवरी 2018

Md ekram hazam

Md ekram hazam

Bhut sundar गजब क। शायरी

3 जनवरी 2018

Md ekram hazam

Md ekram hazam

Bhut sundar गजब क। शायरी

3 जनवरी 2018

Md ekram hazam

Md ekram hazam

Bhut sundar गजब क। शायरी

3 जनवरी 2018

1

ब्राह्मण होना अभिशाप है या वरदान?

10 दिसम्बर 2017
1
0
1

- मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” (इस लेख का कोई भी अंश अथवा सम्पूर्ण लेख प्रकाशित करने से हेतु लेखक की पूर्व अनुमति अनिवार्य है) आजकल ब्राह्मण समाज का अपमान करना और उनका खुलेआम विरोध करना मानों एक फैशन सा बन गया है. जिसे देखो वही ब्राह्मणों को देश और समाज की तथाकथित दुर्

2

१८ प्रतिशत जनसंख्या कभी बादशाह नहीं बन सकती लेकिन...........

16 दिसम्बर 2017
0
0
0

मेरा मानना है कि ताकत उसके पास होती है जिसके पास सत्ता होती है, और सत्ता उसके पास होती है जिसके पास बहुमत होता है. इस समय बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता में है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि नरेंद्र मोदी एक बड़े समुदाय के हीरो बन चुके हैं या यूँ कहिये कि एक ऐसे वर्ग के सर्वमान्य नेता बन चुके हैं जिसके प

3

चाणक्य से चाटुकार बन गए हैं ब्राह्मण

17 दिसम्बर 2017
0
1
0

प्रिय ब्राह्मण बंधुओं, आप सभी हमारा सादर प्रणाम बंधुओं, आज ब्राह्मण समाज आपसी प्रतिद्वंदता के चलते बिखर गया है. एक समय में पुरे सनातन समाज का नेतृत्व करने वाला ब्राहमण स्वयं ही नेतृत्वविहीन हो चूका है, सदा से दूसरों का मार्गदर्शन करने वाला ब्राहमण समाज आज खुद ही दिशाहीन

4

अपने भगवान स्वयं बनो, अपने आत्मबल को जानो, उसका उपयोग करो

23 दिसम्बर 2017
0
0
0

हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से तीन देवों का वर्णन किया गया है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, महेश अर्थात भगवान शंकर. ब्रह्मा को जगत की उत्पत्ति और प्रकृति के नियमों का जनक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि संसार के

5

बताओ मोदीजी हमारा कसूर क्या था ?

2 जनवरी 2018
0
0
3

दुनिया का सबसे बड़ा बोझ होता है बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा (अर्थी). जिस औलाद को जरा सा दुःख होने पर बाप की अंतरात्मा चीख उठती है, उसी बेटे को जब मुखाग्नि देनी पड़ती है तब देखने वालों का कलेजा भी मुहं को आ जाता है. बेटे की ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाने वाला बाप जब उसी बेटे के जनाजे को कंधे पर लेकर चल

6

ये नौटंकी बंद होनी चाहिए..

6 जनवरी 2018
0
1
1

अगर आपकी पत्नी अध्यापक हैं तो आप उनके स्थान पर स्कूल में जाकर पढ़ा नहीं सकते, यदि आपकी पत्नी आईएएस हैं तो आप उनकी कुर्सी पर नहीं बैठ सकते, यदि आपकी पत्नी डॉक्टर हैं तो उनकी जगह आप किसी मरीज का इलाज नहीं कर सकते. लेकिन यदि आपकी पत्नी ग्राम प्रधान हैं या नगरपालिका परिषद की चेयरपर्सन या सदस्या हैं तो आ

7

क्या तब भी ममता बनर्जी जैसे नेता ऐसे ही लोकतंत्र को खतरे में बताते

14 जनवरी 2018
0
0
0

अभी हाल ही में देश में दो बड़ी घटनाएँ घटीं, एक घटना तब घटी जब माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे. चम्लेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के समक्ष कहा कि “हम चारों इस बात से सहमत हैं कि इस संस्थान को बचाया नहीं जा गया तो इस देश या

8

किसी पर भी भौंकने लगते हैं ये आवारा कुत्ते

15 जनवरी 2018
0
0
0

अभी हाल ही में 31 दिसम्बर २०१७ को चांदपुर नगरपालिका परिषद की चेयरपर्सन श्रीमती फहमिदा के सुपुत्र और विधानसभा के पूर्व सपा प्रत्याशी मुहम्मद अरशद से एक मुलाकात हुई थी. करीब एक-डेढ़ घंटा चली मुलाकात में उनसे कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई थी. जिसमें निम्न मुद्दों पर मैंने वि

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए