shabd-logo

अपने भगवान स्वयं बनो, अपने आत्मबल को जानो, उसका उपयोग करो

23 दिसम्बर 2017

345 बार देखा गया 345
featured image

हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से तीन देवों का वर्णन किया गया है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, महेश अर्थात भगवान शंकर. ब्रह्मा को जगत की उत्पत्ति और प्रकृति के नियमों का जनक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि संसार के प्रथम पुरुष यानि थे मनु अर्थात आदम. मनु का वास्तविक नाम था स्वयम्भू मनु, स्वयंभू का अर्थ है (स्वयंम प्रकट होने वाला) और इनके साथ जो प्रथम स्त्री थीं शतरूपा यानि हव्वा, अर्थात मनु और शतरूपा को ही इस स्रष्टि जनक कहा जाता है. मनु की संतानों को ही मनुष्य या मानव कहा गया. आदम से आदमी बना. माना जाता है कि मनु और शतरूपा को स्वयं ब्रह्मा ने मृत्यलोक यानि धरती पर भेजा था और उनके लिए कुछ नियम निर्धारित किये थे. दुसरे भगवान हैं विष्णु, विष्णु को पालनकर्ता माना जाता है. अर्थात इस सम्पूर्ण स्रष्टि के पालन की जिम्मेदारी भगवान विष्णु की मानी जाती है और तीसरे भगवान हैं महेश अर्थात शंकर. भगवान शंकर को संहारकर्ता माना जाता है, या यूँ कहिये कि दुष्टों का संहार करने वाले अर्थात न्याय करने वाले. इन तीनों के अतिरिक्त एक और चरित्र का वर्णन है जो हैं नारद मुनि. नारद मुनि का मूल कार्य केवल मृत्य्लोक के प्राणियों के दुःख-दर्द और समस्याओं को इन तीनों अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक पहुँचाना है. अब जरा भारत की लोकतान्त्रिक संवेधानिक व्यवस्था पर द्रष्टि डालते हैं. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. विधायिका जो नियम और कानून बनाती है, और समय व् परिस्थिति अनुसार उनमें संशोधन भी करती है, कार्यपालिका जो उन नियमों और कानूनों का पालन कराना सुनिश्चित कर देश में व्यवस्था स्थापित करती है और न्यायपालिका उन नियमों और कानूनों को कार्यपालिका द्वारा समुचित तरीके से लागु किया जाना सुनिश्चित करती है साथ ही यह भी सुनिश्चित करती है कि विधायिका द्वारा तैयार कानून तथा तत्संबंधी संशोधन भारतीय संविधान की भावना के अनुरूप ही हो. लेकिन चौथा स्तम्भ यानि मीडिया का कोई संवैधानिक अर्थ नहीं है. वो केवल नारद मुनि के चरित्र का ही निर्वहन करती है. प्रजा के दुःख-दर्द और तीनों व्यवस्थाओं के बीच एक संवाद प्रस्तुत करती है. यद्दपि उसका कार्य बेहद महत्वपूर्ण है किन्तु उसके बाद भी उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं है. पुराणों में नारद मुनि को नारायण, नारायण का जाप ही करते हुए दर्शाया गया है, नारायण अर्थात विष्णु अर्थात कार्यपालिका यानि executory साधारण शब्दों में कहें तो administration. आजकल मिडिया इसी कार्यपालिका अर्थात एडमिनिस्ट्रेशन के इर्द-गिर्द घुमती नजर आती है. हिन्दू धर्म में भगवान ब्रह्मा को सरस्वती यानि बुद्धि, भगवान विष्णु को लक्ष्मी अर्थात धन और भगवान शंकर को पार्वती यानि वास्तविक शक्ति का पति माना जाता है. इस द्रष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि विधायिका यानि संसद में केवल बुद्धिजीवी ही जाने चाहियें, तभी वह सर्वमान्य और जनहित कानून बना पाएंगे. कार्यपालिका के पास आवश्यक धन होना चाहिए ताकि वो उन नियम और कानूनों को सही ढंग से होना सुनिश्चित करा सकें, साथ ही जनता के हित के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ, जनता तक पहुँचाने में सहायक सिद्ध हों. न्यायपालिका को वास्तविक शक्ति दी गई है ताकि वो बिना किसी भेदभाव के उचित निर्णय ले सकें और न्याय कर सकें. एक और बात है जो कि हिन्दू धर्म में विशेष है, और वो है भगवान शंकर का तीसरा नेत्र. माना जाता है कि जब भगवान शंकर का तीसरा नेत्र खुलता है तब प्रलय आ जाती है. इसका सीधा अर्थ है कि जब न्यायपालिका अपनी वास्तविक शक्ति को पूरी तरह से निष्पक्ष और निडर भाव से उपयोग में लाती है तब समस्त दुष्टों का संहार हो जाता है. देवता अर्थात जो शक्ति का सदुपयोग करता है और दानव अर्थात जो शक्ति का दुरूपयोग करता है. शक्ति दोनों के ही पास होती है. किन्तु जो शक्ति का सदुपयोग कर दुष्टजनों और दानवों का संहार करता है वही भगवान है, वही देवता है. और जो इन सबको शक्ति प्रदान करता है वही परमपिता परमेश्वर है. श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्री परशुराम आदि ये सब भगवान इसीलिए माने जाते हैं क्योंकि इन्होंने दुष्टों और दानवों का संहार किया. मेरे द्रष्टिकोण से इनमें से कोई भी परमेश्वर नहीं है, ईश्वर नहीं है. ईश्वर तो वह है जिसने इन्हें शक्ति प्रदान की. वह शक्ति हममें भी है, हमारे अंदर भी ईश्वर ने वही शक्ति दी है जो उपरोक्त सभी को दी गई थी. अंतर मात्र इतना है कि उन्होंने अपनी शक्तियों को पहचाना और उनका सदुपयोग किया और हम अपनी शक्तियों को पहचान ही नहीं पाए. लोकतंत्र में वह शक्ति हमें मताधिकार के रूप में मिली है जिसका महत्व हम भूल चुके हैं, यही कारण है कि हम विधायिका में बुद्धिजीविओं के स्थान पर अनपढ़, दुर्बुद्धियों को चुनकर भेज रहे हैं और कबूतर की तरह आँख मूंदकर किसी कथित भगवान के चमत्कार की अनंत प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वो हमें बिल्ली अर्थात दुष्टों से बचा लेगा.


-ये मेरे खुद के विचार हैं, आपका इनसे सहमत होना या न होना जरूरी नहीं, अपने कटु शब्दों के लिए मैं क्षमा चाहूँगा. धन्यवाद. (इस लेख का कोई भी अंश अथवा सम्पूर्ण लेख प्रकाशित करने से हेतु लेखक की पूर्व अनुमति अनिवार्य है)


- मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

Join me- Blog- https://shastrisandesh1972.blogspot.in Facebook- www.facebook.com/sspeeth Whatsapp- https://chat.whatsapp.com/8POY0brwYR6FJzoTwyl1L

मनोज चतुर्वेदी शास्त्री की अन्य किताबें

1

ब्राह्मण होना अभिशाप है या वरदान?

10 दिसम्बर 2017
1
0
1

- मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” (इस लेख का कोई भी अंश अथवा सम्पूर्ण लेख प्रकाशित करने से हेतु लेखक की पूर्व अनुमति अनिवार्य है) आजकल ब्राह्मण समाज का अपमान करना और उनका खुलेआम विरोध करना मानों एक फैशन सा बन गया है. जिसे देखो वही ब्राह्मणों को देश और समाज की तथाकथित दुर्

2

१८ प्रतिशत जनसंख्या कभी बादशाह नहीं बन सकती लेकिन...........

16 दिसम्बर 2017
0
0
0

मेरा मानना है कि ताकत उसके पास होती है जिसके पास सत्ता होती है, और सत्ता उसके पास होती है जिसके पास बहुमत होता है. इस समय बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता में है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि नरेंद्र मोदी एक बड़े समुदाय के हीरो बन चुके हैं या यूँ कहिये कि एक ऐसे वर्ग के सर्वमान्य नेता बन चुके हैं जिसके प

3

चाणक्य से चाटुकार बन गए हैं ब्राह्मण

17 दिसम्बर 2017
0
1
0

प्रिय ब्राह्मण बंधुओं, आप सभी हमारा सादर प्रणाम बंधुओं, आज ब्राह्मण समाज आपसी प्रतिद्वंदता के चलते बिखर गया है. एक समय में पुरे सनातन समाज का नेतृत्व करने वाला ब्राहमण स्वयं ही नेतृत्वविहीन हो चूका है, सदा से दूसरों का मार्गदर्शन करने वाला ब्राहमण समाज आज खुद ही दिशाहीन

4

अपने भगवान स्वयं बनो, अपने आत्मबल को जानो, उसका उपयोग करो

23 दिसम्बर 2017
0
0
0

हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से तीन देवों का वर्णन किया गया है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, महेश अर्थात भगवान शंकर. ब्रह्मा को जगत की उत्पत्ति और प्रकृति के नियमों का जनक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि संसार के

5

बताओ मोदीजी हमारा कसूर क्या था ?

2 जनवरी 2018
0
0
3

दुनिया का सबसे बड़ा बोझ होता है बाप के कंधे पर जवान बेटे का जनाजा (अर्थी). जिस औलाद को जरा सा दुःख होने पर बाप की अंतरात्मा चीख उठती है, उसी बेटे को जब मुखाग्नि देनी पड़ती है तब देखने वालों का कलेजा भी मुहं को आ जाता है. बेटे की ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाने वाला बाप जब उसी बेटे के जनाजे को कंधे पर लेकर चल

6

ये नौटंकी बंद होनी चाहिए..

6 जनवरी 2018
0
1
1

अगर आपकी पत्नी अध्यापक हैं तो आप उनके स्थान पर स्कूल में जाकर पढ़ा नहीं सकते, यदि आपकी पत्नी आईएएस हैं तो आप उनकी कुर्सी पर नहीं बैठ सकते, यदि आपकी पत्नी डॉक्टर हैं तो उनकी जगह आप किसी मरीज का इलाज नहीं कर सकते. लेकिन यदि आपकी पत्नी ग्राम प्रधान हैं या नगरपालिका परिषद की चेयरपर्सन या सदस्या हैं तो आ

7

क्या तब भी ममता बनर्जी जैसे नेता ऐसे ही लोकतंत्र को खतरे में बताते

14 जनवरी 2018
0
0
0

अभी हाल ही में देश में दो बड़ी घटनाएँ घटीं, एक घटना तब घटी जब माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे. चम्लेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया के समक्ष कहा कि “हम चारों इस बात से सहमत हैं कि इस संस्थान को बचाया नहीं जा गया तो इस देश या

8

किसी पर भी भौंकने लगते हैं ये आवारा कुत्ते

15 जनवरी 2018
0
0
0

अभी हाल ही में 31 दिसम्बर २०१७ को चांदपुर नगरपालिका परिषद की चेयरपर्सन श्रीमती फहमिदा के सुपुत्र और विधानसभा के पूर्व सपा प्रत्याशी मुहम्मद अरशद से एक मुलाकात हुई थी. करीब एक-डेढ़ घंटा चली मुलाकात में उनसे कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत हुई थी. जिसमें निम्न मुद्दों पर मैंने वि

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए