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बुढ़ापा

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जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता है तभी से वह भी बूढ़ा होने लगता है। बुढ़ापा चेहरे पर उतनी झुरियाँ नहीं जितनी किसी के मन पर डालता है।। अनुभव से बुद्धिमत्ता और कष्ट से अनुभव प्राप्त होता है। बुद्धिमान

यौवन गुलाबी फूलों का सेहरा तो बुढ़ापा कांटों का ताज होता है। लम्बी उम्र सब चाहते हैं लेकिन बूढ़ा होना कोई नहीं चाहता है।। छोटी उम्र या कोरे कागज पर कोई भी छाप छोड़ी जा सकती है। युवा के पास ज्ञान तो

आज कुछ मन खट्टा हुआ तो दैनंदिनी के लिए इतना ही कि - बचपन में वह कभी रोता-हँसता कभी उछल-कूद करता कभी खेल-खिलौने छोड़ किसी चीज की हठ कर बैठता उछल-उछल कर सबको विचित्र करतब दिखलाता हँस.-हँस, हसाँ-हसा

अच्छा लग रहा है न आज ऐसे सड़क के किनारे बैठे हुए, इस इंतजार में कि क्या हुआ जो बहु ने निकाल दिया घर से,बेटा तो हमारा है न ,वो हमें लेने जरूर आएगा ।अरे याद करो भाग्यवान आज से 40 साल पहले की बात को मेरे लाख मना करने के बावजूद तुमने मेरी विधवा माँ पर न जाने क्या क्या इल्ज़ाम लगा कर घर से निकाला था। कितनी

बचपन बनामबुढ़ापा। नर्म हथेलीमुलायम होठ, सिरमुलायम काया छोट।बिन मांगेहोत मुरादे पूर,ध्यान धरे माता गोदी भरे।पहन निरालेकपड़े पापा संग, गाँवघूम कर बाबा-दादी तंग।खेल कूद बड़ेभये, भाई बहनो केसंग। हस खेल जवानी, बीत गईं बीबी के संग। ये दिन जब, सब बीत गए जीवन के। अंखियन नीरबहे, एक आस की खातिर।कठोर हथेलीसूखे हो

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