एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत परेशान था. वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहते तो एक ही जवाब मिलता अभी मैं इतना छोटा हूँ..धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा, पर वह कभी भी आदत छोड़ने का प्रयास नहीं करता.
उन्ही दिनों एक महात्मा गाँव में पधारे हुए थे, जब आदमी को उनकी ख्याति के बारे में पता चला तो वह तुरंत उनके पास पहुँचा और अपनी समस्या बताने लगा.
महात्मा जी ने उसकी बात सुनी और कहा, ठीक है, आप अपने बेटे को कल सुबह बागीचे में लेकर आइये, वहीँ मैं आपको उपाय बताऊंगा
अगले दिन सुबह पिता-पुत्र बागीचे में पहुंचे. महात्मा जी बेटे से बोले, आइये हम दोनों बागीचे की सैर करते हैं. और वो धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे
चलते-चलते ही महात्मा जी अचानक रुके और बेटे से कहा, क्या तुम इस छोटे से पौधे को उखाड़ सकते हो...? जी हाँ, इसमें कौन सी बड़ी बात है ।
और ऐसा कहते हुए बेटे ने आसानी से पौधे को उखाड़ दिया. फिर वे आगे बढ़ गए और थोड़ी देर बाद महात्मा जी ने थोड़े बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए कहा ”क्या तुम इसे भी उखाड़ सकते हो?
बेटे को तो मानो इन सब में कितना मजा आ रहा हो वह तुरंत पौधा उखाड़ने में लग गया. इस बार उसे थोड़ी मेहनत लगी पर काफी प्रयत्न के बाद उसने इसे भी उखाड़ दिया
वे फिर आगे बढ़ गए और कुछ देर बाद पुनः महात्मा जी ने एक गुडहल के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बेटे से इसे उखाड़ने के लिए कहा. बेटे ने पेड़ का ताना पकड़ा और उसे जोर-जोर से खींचने लगा. पर पेड़ तो हिलने का भी नाम नहीं ले रहा था.
जब बहुत प्रयास करने के बाद भी पेड़ टस से मस नहीं हुआ तो बेटा बोला, ”अरे ! ये तो बहुत मजबूत है इसे उखाड़ना असंभव है ।
महात्मा जी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा बेटा, ठीक ऐसा ही बुरी आदतों के साथ होता है, जब वे नयी होती हैं तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, पर वे जैसे जैसे पुरानी होती जाती हैं इन्हें छोड़ना मुशिकल होता जाता है।