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चिराग-ए-उजास

31 अक्टूबर 2021

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🌷🌹"चिराग-ए-उजास"🌹🌷

चिराग-ए-रोशन जहाँ भी हो, चहुं ओर वहां उजास रहे।
दीप तले भी तम रहे न, गर पास में दीपक प्रकाश रहे।
तम का क्या वज़ूद है 'मोहन', उजास पास न आ पाए।
दिये की जगमग रोशनी से, राह-ए-सुकूं हर श्वास रहे।

जग उजियारा हो न सकता, मन में भरा अंधेरा है।
मैं मेरी तू तेरी के भ्रम ने, इस मन में डाला डेरा है।
दीप आलोकित करने से, 'मोहन' तम मिट जाता है।
ब्रह्मज्ञान से मन अलोकित, फिर नित नया सवेरा है।

दिये से दिया जलाएं मिलकर, रोशन कुल जहान करें।
तिमिर नज़र न आए कहीं पे, यत्न सदा ये महान करें।
दीप जले जो मन में भी,'मोहन' अज्ञानता न शेष रहे।
अंदर-बाहर सब हो आलोकित, हर राह आसान करें।

दिया जले जो घर के अंदर, घर को रोशन भरपूर करे।
दिया जले जे राह-चौराहे पे, तो सारा तम काफ़ूर करे।
मन दीप जलना लाज़िम 'मोहन', भ्रम-भुलेखे दूर करे।
ब्रह्मज्ञान का दिव्य ओज़ ही, यह जीवन पुरनूर करे।

मन का दीप न यूंही जलता, सत्गुरू मेहर जरूरी है।
ब्रह्म ज्ञान की दिव्य ज्योति से, होती यह रूह नूरी है।
दिव्य दृष्टि से रब ये दिखे, 'मोहन' सब कुछ ही रब है।
प्रेम ही प्रेम महके जग में, बहती श्रद्धा और सबूरी है।

🌺शुकर ऐ मेरे रहबरां🌺
🙏धन निरंकार जी🙏

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

👌👌👌👍👍

31 अक्टूबर 2021

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रचनाएँ
गरिमा लेखनी की
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इस पुस्तक में आध्यात्म या समाज का चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
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लेखनी की गरिमा

11 अक्टूबर 2021
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राब्ता-ए-फ़क़्र: सज़दा

14 अक्टूबर 2021
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परछाईं न साथ देती है...

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महत्ता बिंदी की

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चिराग-ए-उजास

31 अक्टूबर 2021
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10 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">🌷🌹<b><u>"मनमौज़ी"</u></b>🌹🌷</p><p dir="ltr"><b><i>रूप मनमौज़ी ध्यान

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11 नवम्बर 2021
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<p dir="ltr">🌷🌹<i><b>"निल बटे सिफ़र/सन्नाटा"</b></i>🌹🌷</p> <p dir="ltr"><i><b>निल बटे सन्नाटा कह

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13 नवम्बर 2021
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13 नवम्बर 2021
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🌷🌹"क़माल की जादुई झप्पी"🌹🌷

15 नवम्बर 2021
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16 नवम्बर 2021
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16 नवम्बर 2021
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🌷🌹"अंधेरा फ़क्त उजास की क्षीणता"🌹🌷

17 नवम्बर 2021
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🌷🌹"पिएं.. रामरस"🌹🌷

18 नवम्बर 2021
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26 नवम्बर 2021
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29 नवम्बर 2021
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<p dir="ltr">🌷🌹<u><b>"झरोखा"</b></u>🌹🌷</p> <p dir="ltr"><i><b>रसोई में झरोखे लगे होते हैं, इस ढं

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🌷🌹"ओस रब्बी वरदान है.."🌹🌷

1 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">🌷🌹<u><b>"ओस रब्बी वरदान है.."</b></u>🌹🌷</p> <p dir="ltr"><i><b>ओस की बूंदें कहूँ इन

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🌷🌹"अपनी दिव्य पनाहों में.."🌹🌷

12 दिसम्बर 2021
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🌷🌹"इश्क़-हक़ीक़ी पूजा है..."🌹🌷

14 दिसम्बर 2021
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🌷🌹"श्रद्धा भक्ति विश्वास रहे, मन में आनंद का वास रहे"🌹🌷

16 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">*🌷🌹<u><b>"श्रद्धा भक्ति विश्वास रहे, मन में आनंद का वास रहे"</b></u>🌹🌷*</p> <p dir=

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🌷🌹"सब कुछ बदल गया"🌹🌷

21 दिसम्बर 2021
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<p dir="ltr">🌷🌹<u><b>"सब कुछ बदल गया"</b></u>🌹🌷</p> <p dir="ltr">हर एक मनुष्य को <b>सर्वश्रेष्ठ

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🌷🌹"शरूर-ए-इश्क़ ख़ुमारी"🌹🌷

1 जनवरी 2022
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<p dir="ltr">🌷🌹<u><b>"शरूर-ए-इश्क़ ख़ुमारी"</b></u>🌹🌷</p> <p dir="ltr"><i><b>उल्फ़त-ए-यार कितना है, इसका पैमाना नहीं होता। </b></i><br> <i><b>आपसी जज़्बात बहते हैं, उनसा दीवाना नहीं होता।</b></i><br>

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🌷🌹"तुम... ज़िस्म हो या ज़िस्म में हो..."🌹🌷

13 जनवरी 2022
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🌷🌹"तुम... ज़िस्म हो या ज़िस्म में हो..."🌹🌷 तुम क्या महज़ ज़िस्म हो??? यदि ज़िस्म हो तो नामकरण के पहले एवं मरण के उपरांत... क्या अपनी पहचान बता सकोगे!! और यदि ज़िस्म नहीं हो तो फिर क्या हो और कौन हो!!! न

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🌷🌹"बस मोल है ख़्यालात का..."🌹🌷

21 जनवरी 2022
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🌷🌹"बस मोल है ख़्यालात का..."🌹🌷 भास खुदको तब हुआ,अपनी सही औक़ात का। जब सितारे ने था चीरा, दिल अंधियारी रात का। नश्तर चुभाके दिल में जो,बेदर्दी से ज़ख़्म दिए। दर्द को भी न दर्द हुआ, प्रेम भरे जज़्बात का।

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🌹"कहीं ऐसा इलाही घर न मिलेगा.."🌹🌷

23 जनवरी 2022
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🌷🌹"कहीं ऐसा इलाही घर न मिलेगा.."🌹🌷 इस लुभावने गुलशन के जैसा, कहीं और यह मंजर न मिलेगा। उल्फ़त से महके जहाँ हर ज़र्रा, वहां ख़ौफ़-ए-ख़ंजर न मिलेगा। महकता हुआ हो हरपल ही जहां, हर वक़्त सुबह और शाम। रूहानि

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🌷🌹"पूर्ण सत्गुरू ही सर्वकला संपन्न समरथ सत्ता है..."🌹🌷

27 जनवरी 2022
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🌷🌹"पूर्ण सत्गुरू ही सर्वकला संपन्न समरथ सत्ता है..."🌹🌷 पूर्ण सत्गुरू ही सर्वकला, संपन्न समरथ सत्ता है। बिन इसकी कृपा के तो, खिले न फूल-पत्ता है। सबकुछ लेवे देवे यही,'मोहन' अलौकिक दत्ता है। अज्ञा

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