🌷🌹"महत्ता बिंदी की"🌹🌷
बिंदी न केवल इक श्रंगार है, दुल्हन को रब्बी सौगात है।
आभामय मस्तक होता है, बिंदी माथे पे इतनी सुहात है।
बिछुआ चूड़ी सिंदूर बिंदी, ये सुहाग की निशानी 'मोहन'।
वेद-शास्त्र-पुराणों में वर्णित, बिंदी की दिव्य करामात है।
ज्यों इक बिंदी श्रंगार नारी का, त्यों भाषा का श्रृंगार है बिंदी।
बिंदी लगती है कई भाषाओं में, पंजाबी उर्दू फ़ारसी या सिंधी।
बिंदी की बात निराली 'मोहन', ये ऊपर नीचे या आगे लगती है।
बिंदी की वज़ह से हरेक भाषा में,सबसे ख़ास भाषा है हिंदी।
हो माथे या फिर भाषा में बिंदी, इसकी छटा अलौकिक होती है।
श्रृंगार यह करती दोनों जगहों पर, दिव्यज्योति तिलक सी होती है।
न जाति मज़हब भाषा का भेद, जो धारे वही तो सजता 'मोहन'।
बिंदी छोटी बड़ी या फिर चिंदी सी, बिंदी खासमखास होती है।
🌺बिंदी रस श्रृंगार है🌺
🙏सुहागिन व भाषा का मुकुट है बिंदी🙏