25 जून 2020
कल कल बहती,किनारों से मिलकर, बहुत कुछ समेटे,अपने साथ लेकर,बारिश के आते ही,दौड़ती हूं खिलखिलाकर।कभी मै रौद्र बन, किनारों को काटकर,विनाश की ओर