प्रेरणाएँ कहीं से भी आ सकती हैं और किसी भी जगह से। उसके लिए जगह, वजह की भी जरुरत नहीं होती। अकसर प्रेरणाएँ ज़िन्दगी को निखारने का काम करती हैं। ज़िन्दगी को ज़िन्दादिली से जीने को उत्साहित करने का काम करती हैं प्रेरणाएँ। हम इंसानों को अनगिनत उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। हर मोड़ पर नयी चुनौती, नया जोखिम, नये अनुभव हासिल होते हैं। आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होना बेहद जरुरी है। यहाँ महिलाएँ हैं, उनके जज्बात हैं, उनकी कहानियाँ हैं जो हमें प्रेरित कर रही हैं। रश्मि बंसल के विषय में एक बात जरुर कही जाती है -’वे प्रेरणा देती हैं जिसे लोग लम्बे समय तक याद रखते हैं.’ उनकी सभी पुस्तकें लाजवाब हैं। ‘छू लो आसमान’ उन साहसी और आत्मविश्वास से लबरेज महिलाओं की कहानी है जिन्होंने खुद को पहचाना और समाज के सामने एक मिसाल पेश की। 'छू लो आसमान' की लेखिका हैं रश्मि बंसल। पुस्तक का प्रकाशन वेस्टलैंड/यात्रा ने किया है तथा अनुवाद उर्मिला गुप्ता का है। इस किताब को तीन हिस्सों में बाँटा गया है - 1. जिद्दी 2. बेशरम 3. बिंदास
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