भारतीय समाज में इधर जो बदलाव आ रहे हैं, उनका सीधा असर दाम्पत्य सम्बन्धों पर भी पड़ रहा है। लगातार बढ़ते शहरीकरण, विस्थापन और आर्थिक-सामाजिक दबावों के कारण पति-पत्नी के रिश्तों की मिठास निरन्तर कम होती जा रही है और विवाह संस्था को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। डॉ. यतीश अग्रवाल की यह पुस्तक इसी चुनौती को ध्यान में रखकर लिखी गई है। इसमें दाम्पत्य जीवन के हर पहलू पर रोशनी डालते हुए बताया गया है कि तरह-तरह के दबाव सहते हुए हम अपने दाम्पत्य जीवन को किस तरह सफल बना सकते हैं। इस पुस्तक में आप पाएँगे : दाम्पत्य सम्बन्धों के बदलते समीकरणों से सामंजस्य कैसे बनाएँ। दाम्पत्य जीवन में शारीरिक और भावनात्मक माधुर्य का क्या अर्थ है और उसे कैसे बनाकर रखें। सफल दाम्पत्य जीवन में परिवार नियोजन की महत्ता और गर्भ निरोध के बारे में विस्तृत जानकारी। सहवास जैसी मधुर प्रकिया कुछ मौक़ों पर कष्टप्रद क्यों हो जाती है और ऐसी स्थिति से कैसे बचें। यौन जीवन में आनेवाली दिक़्क़तों और उलझनों से कैसे पार पाएँ। यौन सम्बन्धी बीमारियाँ कौन-कौन सी हैं और उनसे बचाव के लिए ज़रूरी सावधानियाँ। गर्भधारण में आनेवाली परेशानियाँ और उनके व्यावहारिक उपचार।
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