मानव ने अपनी सुरक्षा के लिए दवाओं की एक बहुत बडी दुनिया रच ली है। यह उनका ही चमत्कार है कि जहाँ सौ साल पहले धरती पर आदमी की औसत उम्र 25 से भी कम थी, आज वह दुगुनी-तिगुनी हो गई है। कठिन से कठिन, दु:साध्य से दु:साध्य रोग जीत लिए गए हैं। यह सच है कि जीवन के तार दवाओं से जितने मुक्त रहें, यह जीवन उतना ही सुखमय रहता है, किन्तु कठिन घड़ियों में दवाओं का सहारा न लेने में भी जीवन की जीत नहीं, हार है। दवाओं की दुनिया पर प्रकाश डालती या कृति एक छोटी हैंडबुक है, जिसमें दवाओं से जुडी कुछ बहुत बुनियादी बातें और व्यावहारिक पहलू उकेरे गए हैं—डॉक्टर के पर्चे में बने संकेत क्या इंगित करते हैं, दवाओं के सुरक्षित प्रयोग के सच्चे मायने क्या हैं, दवाओं के साथ भोजन सम्बन्धी क्या-क्या परहेज़ ज़रूरी हैं, प्रमुख दवाओं के साथ अनिवार्य सावधानियाँ क्या हैं, कब कोई दवा दूसरी दवा को पटकी दे सकती है, कब किसे बढ़ावा देकर जीवन मुश्किल कर सकती है, इसका एक संक्षिप्त विवरण इस रचना में प्रस्तुत है। यह विज्ञान इतना विशद और विशाल है कि इसका अंश-भर ही इस पुस्तक में आ सका है। यूँ भी इस लघु रचना की सफलता इसी में है कि वह पाठक में जागरूकता का दीया प्रज्वलित कर सके, उसे नीमहकीमी की काली छाया से मुक्त होने की ओर प्रेरित कर सके। कृति में उपलब्ध सभी जानकारियाँ आयुर्विज्ञान के आधिकारिक ग्रन्थों पर आधारित हैं जिसमें लेखक के चिकित्सकीय जीवन के तीन दशकों का अनुभव अभिन्न रूप से समाविष्ट है ।
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