जन्नतनशीन आयशा,दुआओं में याद रखना डॉ शोभा भारद्वाज 25 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले आयशा साबरमतीकी गोद में समा गयी वह पढ़ी लिखी थी जीना चाहती थी. वह केवल 23 वर्ष की थी .उसकेशौहर आरिफ ने सोचा था वह चुपचाप सदैव के लिए अपने मायके में सो जायेगी लेकिन आयशाने चुपचाप जिन्दगी को अलविदा नहीं कहा अप
सरकारी नौकरी लगने के बाद कई दूल्हे शादी में मोटे दहेज के लिए एनवक्त पर अड़ जाते हैं। शादी के बाद विवाहिता को परेशान करने से भी नहीं चूकते हैं, ऐसे युवकों को इन दो दूल्हों से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने लाखों रुपए के दहेज को ठुकरा दिया। खास बात ये है कि दोनों दूल्हे राजपूत ह
बड़ी धूूमधाम से दीपिका की शादी हुई थी। इतने मेहमान आए थे कि पूरे समाज में इस शादी की मिसाल दी जाने लगी थी। पिताजी बड़े अफसर थे, सो जो भी मेहमान आए महंगे गिफ्ट लेकर आए थे दीपिका के लिए।लेकिन दीपिका की शादी होने के बाद से ही उसका पति दहेज के लिए ताने देता रहता था। दीपिका के पिता ने शादी में सब कुछ दिया