1.पीयूष जी अपने बारे में बताए.
जी मेरा नाम पीयूष कुमार गोयल है में पिता डाक्टर देवेंद्रा कुमार गोयल व माता रवि कांता गोयल का बड़ा बेटा हूँ मे डिप्लोमा यांत्रिक इंजिनियर हूँ और एक कंपनी में कार्यरत हूँ.
2.पीयूष जी आपने इतना सुंदर काम किया हैं इस की प्रेरणा कहा से मिली ?
जी सच तो ये हैं मुझे ईश्वर के आशीर्वाद से अच्छे भाई बहन, अच्छे माता पिता ,अच्छे दोस्त और अच्छे गुरु मिले जिन्होने हमेशा मुझे प्ररित किया और में करता रहा .
3. उल्टा लिखने का ख्याल कहाँ से आया ?
मुझे बचपन से ही कुछ ना कुछ सोचा करता था की कुछ अलग हट कर काम किया जाए बहुत कुछ अध्यन करने के बाद उल्टा लिखना शुरू किया लिखता रहा हिन्दी और इंग्लीश दोनो भाषाओ में.
4.पहली किताब कौन सी लिखी.
ये सवाल आपने मेरे मन का पूछ लिया इस के पीछे लंबी कहानी हैं सन 2000 में मेरे साथ एक भयंकर दुर्घटना हुई जिसने मेरी जिंदगी बदल दी करीब 9 महीने तक बिस्तरा पर पड़ा रहा कहते है दुख में भगवान को याद करते हैं मेने भी किया मुझे मेरे दोस्त ने भगवदगीता पढ़ने के लिए दी और मेने प्रसाद समझ कर उसे माथे से लगाया और उसी दिन से पढ़ना भी शुरू कर दिया सच मानिए मेरा डिपरेसन भी दूर हो गया अब चुकी में उल्टा लिखना जनता था मेने ईश्वर के आशीर्वाद से कुछ दिनो बाद लिखना शुरू कर दिया और करीब साल भर से कम समय में हिन्दी और इंग्लीश दोनो भाषा में श्रीमदभगवद् गीता को लिख भी दिया श्रीमदभगवद् गीता पहली पुस्तक हैं जिसको मेरे द्वरा लिखवाया गया .
5. पीयूष जी आपने अलग-अलग तरह से पुस्तके लिखी हैं वाकई कमाल का काम हैं इनके बारे में कुछ बताइए.
जी ज़रूर इसके बारे में तो बताना ज़रूरी हैं अन्यथा किए काम का आनन्द नही आएगा भगवद् गीता लिखी तो अक्सर लोग पूछते थे पीयूष जी आप की लिखी पुस्तक को पढ़ने के लिए शीशे की ज़रूरत पड़ेगी मेने कहाँ हाँ मेरे मन को ये सवाल कचोट ता था फिर गहन अध्यन करने के बाद एक विचार मन में आया क्यूँ ना सुई से पुस्तक लिखी जाए सो मेंने( आपको बताता चलूं मेरे पास पुस्तको की तीन अलमारी भरी पड़ी हैं ) अपने छोटे से पुस्तकाये से मधुशाला को निकाला और लिखा ना शुरू कर दिया एक दो दिन तक तो मन मानने में लग गया लिखूं या ना लिखू आख़िर एक नयी कृति का जन्म हो गया अब उल्टा लिखने की लत लग चुकी थी एक दिन बाजार में मेंहदी लगाते देखा वहाँ से आइडिया ले लिया गीतांजलि लिख दी अल्यूमिनियम सीट पर लोहे की किल से अपनी ही पुस्तक पीयूष वाणी लिख दी जैसे ही ये पूरी हुईं फिर एक बहुत ही खूबसूरत आइडिया आया क्यूँ ना एक ही पेज पर मिरर इमेज में और सीधा भी लिखा जाए उसको कार्बन पेपर से लिख पूरा किया. अब तक में 15 पुस्तके अपने हाथ से लिख चुका हूँ.
6.पीयूष जी इसके अलावा भी और कुछ शौक .
जी हाँ मुझे आटोग्रॅफ संग्रह करने का भी शौक हैं जिसमें अभिताभ ,सचिन, लता जी अटल जी सलमान ऋतिक इत्यादि,1983 भारतीय क्रिकेट विजेता टीम के आटोग्रॅफ व 1983 वेस्ट इंडीस क्रिकेट मैच हारी टीम के आटोग्रॅफ भी मेरे संग्रह में हैं. हाँ एक बात तो बताना भूल ही गया मुझे गणित का भी बहुत शौक हैं मेरे दो पेपर गणित जर्नल में पब्लिश हो चुके हैं और एक प्रमेय को चार तरीके से सत्यापित भी किया हैं .
7.पीयूष जी आख़िर में एक सवाल पूछना तो चाहिए नही पर मन हैं की मानता नही आपने इतना सब कुछ किया आपके जाने के बाद इन सब पुस्तको को...........
हाँ बहुत ही सत्य सवाल में इन सभी पुस्तको को संग्रहाल में रखना चाहता हू .
जीवन परिचय------पीयूष गोयल
पीयूष गोयल का जन्म एक मध्यम परिवार में हुआ पिता देवेन्द्र कुमार गोायल माता रविकांता गोयल के यहाँ,पीयूष गोयल डिप्लोमा यांत्रिक अभियंता हैं और एक कंपनी में कार्यरत हैं.बचपन से ही कुछ नया करने की जुगत में रहने वाले पीयूष गोयल ने आख़िर एक दिन दर्पण छवि में लिखना सीख लिया और फिर अथक प्रयास से अब तक 15 विश्वा प्रसिद पुस्तके लिख चुके हैं.,श्रीमदभगवदगीता (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री दुर्गा सप्त सत्ती (संस्कृत), श्रीसांई सतचरित्र(हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री सुंदरकांड, चालीसा संग्रह, सुईं से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि (रबींद्रनाथ टैगोर कृत), कील से “पीयूष वाणी”एवं कार्बन पेपर से “पंचतंत्र” (विष्णु शर्मा कृत)।
मैथिलीशरण गुप्त जी की ये लाइने
नर न निराश करो मन को
नर न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो
हमेशा पीयूष गोयल को प्रेरित करती रही और जब पीयूष गोयल इंटर्मीडियेट में आये तो
Robert Frost जी की इन लाईनौ ने प्रेरित किया.
The woods are lovely, dark and deep, But I have promises to keep, And miles to go before I sleep, And miles to go before I sleep.
पीयूष गोयल 15 विश्वा प्रसिद पुस्तके दर्पण छवि में लिख चुके हैं,अलग अलग तरीके से
1.श्रीमदभगवद् गीता (हिन्दी) ----पेन
2.श्रीमदभगवद् गीता (इंग्लीश)---पेन
3.श्रीदुर्गा सप्त्सत्ती(संस्कृत)-----पेन
4.सांई सतचरित्रा (हिन्दी) ----पेन
5..सांई सतचरित्रा (इंग्लीश) ----पेन
6 & 7.सुंदर कांड ( 2 बार)----पेन
8.रामचरित्रमानस ( केवल दोहा सोरठा और चोपेयी)----पेन
9. मधुशाला (सुई से)
10. गीतांजलि( मेहंदी से)
11.पीयूष वाणी(अल्यूमिनियम सीट)----कील से
12.पीयूष वाणी(पारदर्शी सीट पर)----फॅब्रिक कोन लाइनर से
13.पंचतंत्र----कार्बन पेपर से
14. मेरी इक्यावन कविता एँ---मॅजिक सीट पर लकड़ी के कलम से
15.चाणिक्या नीति--लकड़ी के कलम से