लखनऊ। सेल्फी में आपके बायें गाल का तिल, आपकी दायीं गाल पर दिखता है। आईने में भी ऐसा ही होता है। इसे मिरर इमेज कहते हैं। दादरी के पीयूष गोयल लिखते मिरर इमेज में हैं। यानी इनकी किताबें पढऩे के लिए दर्पण की जरूरत होगी। पीयूष ने प्रसिद्ध ग्रंथों को मिरर इमेज में लिखा है। उल्टे अक्षरों में गीता, सुई की नोक से मधुशाला, मेंहंदी कोन से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी लिख डाली। श्रीमती रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के 49 वर्षीय बेटे पीयूष ने पांच प्रसिद्ध पुस्तकों को पांच तरीके से लिख डाला। डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग का पढ़ाई करने वाले पीयूष गोयल का 2000 में एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह लग गए। जब वे ठीक हुए तो कुछ अलग करने की जिजीविषा पाले वे शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास करने लगे। फिर अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। गोयल की लिखीं पुस्तकें पढऩे के लिए आपको दर्पण का सहारा लेना पड़ेगा। उल्टे लिखे अक्षर दर्पण में सीधे दिखाई देंगे और आप आसानी से उसे पढ़ लेंगे।
हरिवंश राय बच्चन की पुस्तक ‘मधुशाला’ को सुई से मिरर इमेज में लिखने में करीब ढाई माह का समय लगा। गोयल की मानें तो यह सुई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सुई से लिखी गई है।
पीयूष गोयल ने एक और नया कारनामा कर दिखाया है उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति ‘गीतांजलि’ को ‘मेंहदी के कोन’ से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरू की और सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए। इसको लिखने में 17 कोन तथा दो नोट बुक प्रयोग में आई हैं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। ‘रामचरितमानस’ (दोहे, सोरठा और चौपाई) को भी लिख चुके हैं। पीयूष गोयल ने अपनी ही लिखी पुस्तक ‘पीयूष वाणी’ को कील से ए-4 साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा है। गहन अध्ययन के बाद पीयूष ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा लिखी ‘पंचतंत्र’ के सभी ( पाँच तंत्र, 41 कथा ) को लिखा है। पीयूष गोयल ने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा जिससे पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई देंगे यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।
जीवन परिचय : पीयूष गोयल का जन्म 10 फरवरी 1967 को माता रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ। पीयूष 2003 से कुछ न कुछ लिखते आ रहे हैं
श्रीमदभगवदगीता (हिन्दी व अंग्रेजी), श्री दुर्गा सप्त सत्ती (संस्कृत), श्रीसांई सतचरित्र (हिन्दी व अंग्रेजी), श्री सुंदरकांड, चालीसा संग्रह, सुई से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि, कील से पीयूष वाणी एवं कार्बन पेपर से पंचतंत्र। पीयूष गोयल की 3 पुस्तकें प्रकशित हो चुकी हैं। पीयूष गोयल संग्रह के भी शौकीन हैं, उनके पास प्रथम दिवस आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगों के ऑटोग्राफ संग्रह भी हैं। इस के आलावा संस्कृत में श्री दुर्गा सत्सती, अवधीमें सुन्दरकाण्ड भी लिख चुके हैं।