कई महत्वपूर्ण किताबें उल्टे अक्षर (मिरर इमेज शैली) में लिखीं
पेन की जगह कील, सुई, कार्बन पेपर, मेहंदी कोन से आसानी से उल्टे अक्षर से लिख देतें हैं महत्वपूर्ण किताबें
नई दिल्ली। ‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत-जात ते सिल पर पड़त निशान’ का संदेश कर्म की प्रधानता को व्याख्यायित करता है। अभ्यास और लगन से कोई भी काम असंभव नहीं। साथ ही अभ्यास व लगन के किसी काम में परिपक्वता भी नहीं, उसमें रस भी नहीं और लगाव भी नहीं। कई लोग हमेशा अपनी धुन में रमकर कुछ अलग करने की इच्छा से काम कर सफलता को प्राप्त करते हैं।
ऐसे ही गाजियाबाद के दादरी के रहने वाले 49 वर्षीय पीयूष गोयल भी अपने धुन में रमकर कुछ अलग करने में जुटे कि शब्दों को उल्टा लिखने में लग गए। इस धुन में ऐसे रमे कि कई अलग-अलग सामग्री से कई पुस्तकें लिख दीं।
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग का पढ़ाई करने वाले पीयूष गोयल का 2000 में एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ एक साल लग गए। नौ माह तक तो वे अस्पताल में रहे। इस दौरान उन्होंने श्रीमद्भभगवद गीता को अपने जीवन में उतार लिया। जब वे ठीक हुए तो कुछ अलग करने की जिजीविषा पाले वे शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास करने लगे। फिर अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। गोयल की लिखीं पुस्तकें पढ़ने के लिए आपको दर्पण का सहारा लेना पड़ेगा। उल्टे लिखे अक्षर दर्पण में सीधे दिखाई देंगे और आप आसानी से उसे पढ़ लेंगे।
पीयूष गोयल बताते हैं कि कुछ लोगों ने कहा कि आपकी लिखी किताबें पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत होगी। कुछ ऐसा करें कि दर्पण की जरूरत न पड़े। इस पर पीयूष गोयल ने सुई से मधुशाला लिख दी। सुई से लिखा होने के कारण आप कागज को पीछे मेंहदी कोन से लिखी गीतांजलि से सीधा पढ़ सकते हैं।
हरिवंश राय बच्चन की पुस्तक ‘मधुशाला’ को सुई से मिरर इमेज में लिखने में करीब ढाई माह का समय लगा। गोयल की मानें तो यह सुई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सुई से लिखी गई है।
इसी क्रम में पीयूष गोयल ने एक और नया कारनामा कर दिखाया। उन्होंने 1913 के साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति ‘गीतांजलि’ को ‘मेंहदी के कोन’ से करीब 28 दिनों में लिख दिया। इसे लिखने में 17 कोन व दो नोट बुक का प्रयोग करना पड़ा। पीयूष ने श्रीदुर्गासप्तशती, सुन्दरकांड,
आरती संग्रह, हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्रीसाईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। ‘रामचरितमानस’ (दोहे, सोरठा और चौपाई) भी लिख चुके हैं।
पीयूष गोयल ने अपनी ही लिखी पुस्तक ‘पीयूष वाणी’ को कील से ए-फोर साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा। पीयूष बताते हैं कि सुई से ‘मधुशाला’ लिखने के बाद उन्हें विचार आया कि क्यों न कील का प्रयोग कर लिखने का प्रयास किया जाए।
…सो उन्होंने ए-4 साइज एल्युमिनियम शीट पर ‘पीयूष वाणी’ लिख डाली।
कार्बन पेपर की मदद से लिखी ‘पंचतंत्र’
इसके पीयूष गोयल ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा लिखी ‘पंचतंत्र’ के सभी (पांच तंत्र, 41 कथा) को लिखा। उन्होंने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा कर लिखा, जिससे पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई दें। यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।