कुछ ना कुछ करने वाले पीयूष गोयल ने अपने बेटे हीमेश गोयल के साथ मिलकर 22 स्क्वेरफीट(5.5फीट*4फीट) की एक लुडो बोर्ड बनाया हैं.
पीयूष गोयल कुछ ना कुछ करते रहते हैं पीयूष गोयल अब तक 16 विश्वा प्रसिद्ध पुस्तके दर्पण छवि में लिख चुके हैं,अलग अलग तरीके से
1.श्रीमदभगवद् गीता (हिन्दी) ----पेन
2.श्रीमदभगवद् गीता (इंग्लीश)---पेन
3.श्रीदुर्गा सप्त्सत्ती(संस्कृत)-----पेन
4.सांई सतचरित्रा (हिन्दी) ----पेन
5..सांई सतचरित्रा (इंग्लीश) ----पेन
6 & 7.सुंदर कांड ( 2 बार)----पेन
8.रामचरित्रमानस ( केवल दोहा सोरठा और चोपेयी)----पेन
9. मधुशाला (सुई से)
10.गीतांजलि( मेहंदी से)
11.पीयूष वाणी(अल्यूमिनियम सीट)----कील से
12.पीयूष वाणी(पारदर्शी सीट पर)----फॅब्रिक कोन लाइनर से
13.पंचतंत्र----कार्बन पेपर से
14. मेरी इक्यावन कविता एँ---मॅजिक सीट पर लकड़ी के कलम से
15.चाणिक्या नीति--लकड़ी के कलम से
16.पीयूषवाणी-ग्लू और गम से लिखी
पीयूष गोयल ने एक विश्वप्रसिध काम किया हैं उन्होने दुनिया की पहली हाथ से सुईं से किताब लिखी हैं.और उस किताब का नाम हैं 'मधुशाला" जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स,वर्ल्ड रेकॉर्ड असोसियेशन व वर्ल्ड रेकॉर्ड यूनिवर्सिटी ने ऑन्रारी डाक्टरिट डिग्री से सम्मानित किया हैं.
पीयूष गोयल की अब तक तीन पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं गणित एक अध्धयन,ईज़ी स्पेलिंग व पीयूष वाणी.
गणित में रूचि रखने वाले पीयूष गणित में भी कई नई काम कर रहे है.इसके अलावा पीयूष गोयल विचार भी लिखते हैं जैसे.
1. भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के ही सारथि नही थे वे तो पूरे विश्व के सारथि हैं ,फिर डर किसका
2. वर्तमान की आवश्यकता भविष्य की निधि हैं.
3. किसी भी कार्य के पर्याय बन जाओ प्रसिद्धि अवश्य मिल जाएगी.
4. अपने सुखो को दूसरो के दूखो में बाँट दो.
5. जीवन में लक्ष्य ज़रूर निर्धारित करो लक्ष्य मिलने पर आकर बड़ा कर दो.
6. झूठ सच पर अधिकार कर रहा हैं.
7.प्रलोभन व्यक्ति को विचलित करता हैं.
8.जोखिम उठाने वालो के लिये असफलता एक उपहार हैं.
9.फल की इच्छा रखने वाले फूल नही तोड़ा करते.
10.वर्तमान की दिशा भविष्य की दशा तय करती हैं.
11.तुम्हारे प्रयास फल की तरह खट्टे या मीठे को सकते हैं पर सफलता मीठी ही होती हैं.
12.निर्णय हमेशा प्रभावित करते हैं.
13.शब्द दुख और सुख में अक्षर ख को देखो हमेशा एकसा दिखता हैं फिर हम क्यों नही?
14.आलोचना मुझें प्रेरित करती हैं कुछ और अच्छा करने की.
अपने काम के प्रति लगन के मामले में पीयूष कहते है -
"मधुमखियो को यह नहीं पता होता कि हम शहद बना रहे हैं वो तो सिर्फ अपना काम कर रहीं हैं।"