काश,
मेरा ज्ञान
सूरज बन जाता
चारो ओर प्रकाश फेलाता /
काश,
मेरा अज्ञान
धुआ बन जाता
ओर आकाश में कही गुम हो जाता/
काश,
मेरा घमंड
काँच बन जाता टकराते ही
चूर-चूर हो जाता /
काश,
मेरा आलस्या
पतंग बन जाता
ओर डोर हाथ से टूट जाता/
काश,
मेरा विश्वास
चट्टान बन जाता
तोड़ने पर टूट न पता/
काश,
मेरी छाया
परछाई बन जाती सुबह होते ही फिर बुलाती
ओर गले से लगाती/