जिंदगी
बचपन बड़ा होता हैं
आँगन में
और आँगन में
तैरती हैं नाव
उड़ती हैं पतंग
खेल ते हैं खिलोने
आ जाते हैं राहों में
और राहें मिलती हैं
तिरहों पर
चोरहो पर
और एक दिन
येंराहें
फँस जाती हैं
जाम में(जिंदगी)
पीयूष गोयल
http://www.piyushgoel.in
11 अक्टूबर 2017
जिंदगी
बचपन बड़ा होता हैं
आँगन में
और आँगन में
तैरती हैं नाव
उड़ती हैं पतंग
खेल ते हैं खिलोने
आ जाते हैं राहों में
और राहें मिलती हैं
तिरहों पर
चोरहो पर
और एक दिन
येंराहें
फँस जाती हैं
जाम में(जिंदगी)
पीयूष गोयल
http://www.piyushgoel.in
रेणु जी नमस्कार आपने भी सही कहा आज कल बचपन ही जाम में फसा ही लगता हैं.
13 अक्टूबर 2017