पीयूष गोयल, जिन्होंने उल्टे अक्षरों में गीता, सूई से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र और कील से लिखी पीयूष वाणी
नई दिल्ली। दुनिया में एक से एक कलाकार मौजूद हैं जिनकी प्रतिभा देखकर लोग इसे चमत्कार समझने लगते हैं। ऐसे ही एक कलाकार ने पांच तरह की पुस्तकों को लिखकर चौंका दिया है। लेख क पीयूष गोयल ने उल्टे अक्षरों में गीता, सूई से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी लिख डाली। पीयूष की इन किताबों को देखकर हर कोई हतप्रभ है।
एक्सीडेंट ने बदल दी जिदंगी :
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले पीयूष गोयल का 2000 में एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह लग गए। इस दौरान उन्होंने श्रीमद्भभागवद गीता को अपने जीवन में उतार लिया। जब वे ठीक हुए तो कुछ अलग करने की जिजीविषा पाले वे शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास करने लगे। फिर अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। गोयल की लिखीं पुस्तकें पढऩे के लिए आपको दर्पण का सहारा लेना पड़ेगा। उल्टे लिखे अक्षर दर्पण में सीधे दिखाई देंगे और आप आसानी से उसे पढ़ लेंगे।
उल्टे अक्षरों से लिखी भगवत गीता :
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौंचक्के रह जाएंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण (शीशे) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आएंगे। इस मिरर इमेज किताब को पीयूष गोयल ने लिखा है। पीयूष गोयल मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।
सूई से लिखी मधुशाला :
पीयूष गोयल ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि देखने वालों की आंखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है। पीयूष गोयल ने बताया कि अक्सर मुझ से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढऩे के लिए शीशे की जरूरत पड़ती है। पढऩा उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मैंने सूई से स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘मधुशाला’ को करीब दो से ढाई महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढऩे लिए शीशे की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे मोतियों जैसे पृष्ठों को गूंथा गया है, जिसको पढऩे में आसानी रहती हैं और यह सूई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।
मेहंदी कोन से लिखी गई गीतांजलि
पीयूष गोयल ने एक और नया कारनामा कर दिखाया है। उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति ‘गीतांजलि’ को ‘मेहंदी के कोन’ से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेहंदी से गीतांजलि लिखनी शुरू की और सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए। इसको लिखने में 17 कोन तथा दो नोट बुक प्रयोग में आई हैं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। ‘रामचरितमानस'(दोहे, सोरठा और चौपाई) को भी लिख चुके हैं।
कील से लिखी ‘पीयूष वाणी’
अब पीयूष गोयल ने अपनी ही लिखी पुस्तक ‘पीयूष वाणी’ को कील से ए-फोर साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा है। पीयूष ने बताया कि वे इससे पहले सूई से स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘मधुशाला’ को लिख चुके हैं। तो उन्हें विचार आया कि क्यों न कील से भी प्रयास किया जाए सो उन्होंने ए-फोर साइज के एल्युमिनियम शीट पर भी लिख डाला।
कार्बन पेपर की मदद से लिखी ‘पंचतंत्र’
गहन अध्ययन के बाद पीयूष ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा लिखी ‘पंचतंत्र’ के सभी (पांच तंत्र, 41 कथा) को लिखा है। पीयूष गोयल ने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा जिससे पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई देंगे यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।
संग्रह के शौकीन भी हैं पीयूष गोयल :
पीयूष गोयल का जन्म 10 फरवरी 1967 को श्रीमती रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ। पीयूष गोयल पेशे से डिप्लोमा यांत्रिक इंजीनियर है और एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हैं। इन सबके अलावा पीयूष गोयल दुनिया की पहली मिरर इमेज पुस्तक श्रीमद्भागवत गीता के रचनाकार हैं। पीयूष गोयल ने सभी 18 अध्याय 700 श्लोक अनुवाद सहित हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखा है। पीयूष गोयल ने इसके अलावा दुनिया की पहली सूई से मधुशाला भी लिखी है। पीयूष गोयल संग्रह के भी शौकीन हैं, उनके पास प्रथम दिवस आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगों के ऑटोग्राफ संग्रह भी हैं। इसके आलावा संस्कृत में श्री दुर्गा सत्सती, अवधी में सुन्दरकाण्ड, हिंदी व अंग्रेजी में श्रीसाईं चरित्र भी लिख चुके हैं।