एक दशक बीतने वाला है, बहुत कुछ बदल गया है, बदल रहा है। अगले दशक में जाने से पहले एक नजर देख ले। ये दशक बेटियों की दहशत और आदमी की वहशीपन की आबादगी का रहा। 16की निर्भया और दुधमुंही बच्चियों के जिस्म को नोचने का रहा। नोटों से गांधी गायब नहीं हुआ, बस ये शुक्र रहा। नोट गायब करने की साजिशों का रहा। कितन