मुझे नहीं पता भगवान हैं कि नहीं कभी वो हो जाता है जिसे मैं उनसे माँगता हूँ
देवी दुर्गा से ही सभी देवियो का प्रतिभाव हुआ है । वह ही देवी है जो संसार मे दुष्टो का दमन करने के लिए प्रकट होती है और भक्तो के कल्याण के लिए कई रूप धारण करती है । और देवी से ही यह जगत मोहित हो रहा है वही जन्म देती है पालन करती है और काल के अंत मे सब
इस काव्य पुष्प के माध्यम से मैं अपने हृदय के उद्गार कविता के माध्यम से आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं आशा करता हूं कि आपका प्यार मिलेगा। धन्यवाद!
इन प्रवचनों में महावीर वाणी की व्याख्या करते हुए ओशो ने साधना जगत से जुड़े गूढ़ सूत्रों को समसामयिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इन सूत्रों में सम्मिलित हैं--समय और मृत्यु का अंतरबोध, अलिप्तता और अनासक्ति का भावबोध, मुमुक्षा के चार बीज, छह लेश्याएं: चेतन
नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय यह पुस्तक एक छोटा सा प्रयास है हमारे शास्त्रों में वर्णित तथा हमारे मनीषियों के द्वारा रचित प्रसंगों को संकलित करने का|अगर किसी को कोई त्रुटि नजर आती है तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं|
आध्यात्मिक ज्ञान का होना सबको सर्वोपरी बनाता है, इसीलिए मेरे नाना जी, (श्री ज्योति प्रकाश धीमान) के सानिध्य में मैंने आध्यात्मिक ज्ञान को ज़ाहिर करने के लिए इस पुस्तक में छोटी-सी कोशिश की है। इस पुस्तक में हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में छिपे कुछ रहस्यो
कोटा शहर की गणेश चतुर्थी का कुछ अलग ही अंदाज
आदिपुरुष से जुड़े विवाद पर हम सभी जानते हैं परन्तु कुछ जो सहयोग माध्यम से हम फिल्म से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार कर सकते हैं आओ पढ़े
'साकेत महाकवि' मैथिलीशरण गुप्त का लिखा महाकाव्य है जो 12 सर्गों में लिखा गया है। शुरुआती सर्गों में श्रीराम को वनवास का आदेश, अयोध्यावासियों का करुण-रुदन और वनगमन की झांकियां हैं। अंत के सर्गों में लक्ष्मण की पत्नी व राजवधू उर्मिला के वियोग का वर्णन
[8/24, 8:51 PM] G.S.Rajput: राजा का नाम सत्यव्रत था। सत्यव्रत पुण्यात्मा तो था ही, बड़े उदार हृदय का भी था। प्रभात का समय था। सूर्योदय हो चुका था। सत्यव्रत कृतमाला नदी में स्नान कर रहा था। उसने स्नान करने के पश्चात जब तर्पण के लिए अंजलि में जल लिया,
मोहब्बत की की, मैंने मोहब्बत की। खाटू वाले श्याम धनी से मैंने मोहब्बत की। खाटू वाला श्याम मेरा सारे जग का स्वामी है। सबको सहारा देने वाले हारे का सहारा कहलाने वाले खाटू श्याम जी लखदातार है। मेरे सरकार है। मेरे भगवान है। भक्तों का
इस पुस्तक में मैं कृष्ण के जन्म से लेकर कंस वध तक की लीला को काव्य रूप में मात्रिक छंद के रूप में प्रस्तुत करूंगा।
कृष्ण प्रेम व कृष्ण भक्ति पर आधारित त्रिशिका श्रीवास्तव 'धरा' द्वारा रचित 'धरा के गिरिधर'
इस प्रस्तुति में भगवान श्री राम के परम भक्त। काकभुशुण्डि के विषय में और उनसे जुड़ी हुई कथाएं प्रस्तुत की जाएंगी आप जिनका आनंद लीजिए और सनातनी परंपरा और उनसे जुड़ी कथाओं से जुड़िये