जी हां मित्रों आज यह बहुत बड़ा सवाल है कि आखिर हमारी प्रार्थना अनसुनी क्यों है जबकि परमेश्वर ने हमें चुना है हमने विश्वास किया है प्रभु को ग्रहण किया है और प्रभु से उसके बदले बहुत से दान वरदानों को प्राप्त भी किया है जैसा की वचन में लिखा है! (लूका
हमारा जीवन कैसा था , और अब कैसा होता जा रहा है ! हम अपने संस्कारों को कैसे भूलते चले जा रहे हैं इस पर विचार करने की आश्यकता है ! सत्य सनातन धर्म की मान्यतायें अलौकिक एवं दिव्य रही हैं परंतु आज का सनातनी अपनी मूल मान्यताओं से विमुख होते हुए आधुनिक कल्
मीरा के पदों में कृष्ण लीला एवं महिमा के वर्णन का उद्देश्य मीराबाई द्वारा कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति का प्रकटीकरण करना था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण की अनन्य भक्तिन थीं। मीराबाई श्रीकृष्ण को ही अपना प्रियतम मान बैठी थीं। रस-योजना - मीराबाई के का
भक्त-जगत् में प्रह्लाद सर्वशिरोमणि माने जाते हैं। प्रह्लाद की भक्ति में कहीं भी कामना, भय और मोह को स्थान नहीं है, उनकी भक्ति सर्वथा विशुद्ध, अनन्य और परम आदर्श है। उन्हीं प्रह्लाद के चरित्र का इस पुस्तक में चित्रण किया है। आशा है भागवतरत्न प्रह्लाद
हम भूल जाते हैं कि हमारा यह शरीर डेरा सरीखा एक किराए का घर है जिसको छोड़कर एक दिन हमको जाना है या तो हम नरक में जाएंगे या फिर 6 फीट जमीन के नीचे या तो ऊपर स्वर्ग में जाएंगे लेकिन स्वर्ग तो तभी हमें मिलेगा जब हम स्वर्ग राज्य के लिए दुनिया में बोएगें ज
उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है। Vanity of vanities, saith the Preacher, vanity of vanities; all is vanity. एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है। One generat
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है ! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे ! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे ! चिन्
'संभोग से समाधि की ओर' ओशो की सबसे चर्चित और विवादित किताब है, जिसमें ओशो ने काम ऊर्जा का विश्लेषण कर उसे अध्यात्म की यात्रा में सहयोगी बताया है। साथ ही यह किताब काम और उससे संबंधित सभी मान्यताओं और धारणाओं को एक सकारात्मक दृष्टिकोण देती है। ओशो कहते
ओशो के मन का दर्पण में जीवन को जीने के तरीके के बारे में बताया गया है। उन्होने बताया कि जीवन मेरे लिए परमात्मा का ही पर्यायवाची है। जीवन का मतलब ही परमात्मा होता है। जीवन और प्रभु अलग-अलग नहीं हैं। अंदर कोई जागा हो तो इसी क्षण अभी यहीं जीवन और प्रभु
इस संसार में जितने भी क्रियाकलाप हो रहे सब भगवान की कृपा से ही हो रहे हैं ! बिना भगवत्कृपा के कुछ भी हो पाना संभव नहीं है ! इसलिए चराचर जगत में भगवत्कृपा का दर्शन करते हुए इस जीवन एवं जीवन में घटने वाली समस्त घटनाओं को भगवत्कृपा का प्रसाद मानते हुए ह
रात की चांदनी में चहलकदमी करते हुए ईदगाह के सामने से गुजरा तो एक साया सीढि़यों पर बैठे हुए देखा। देखकर अनदेखा करने की ख्वाहिश तो हुई मगर उनकी चमक खुद-ब-खुद उस ओर खींच गई। मन में कौतूहल उठा चलो देखें तो सही आखिर माज़रा क्या है? थोड़ा ध्यान दिया तो अनज
यह पुस्तक आपके अध्यात्मिक सफ़र को एक नया आयाम देगी. अध्यात्म से संबन्धित समस्त जानकारी से युक्त यह पुस्तक प्रत्येक जन मानस के लिए उपयोगी सिद्ध होगी.
आज हम सभी महाशिवरात्रि का पर्व मनाते है और हम सभी अपने अपने सोच विचार से पर्व मनाते है सच तो केवल कुदरत और जीवन मृत्यु का सहयोग है बाकीझूठ और फरेब है। हर हर महादेव
ज्ञानवापी मस्जिद जिसे कभी कभी आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है, वाराणसी मे स्थित एक विवादित मस्जिद है। यह मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। एक संस्कृत शब्द है इसका अर्थ है ज्ञान का कुआं। 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल
प्रेम से बड़ी आग नहीं है दुनिया में, प्रेम है अकेला जो आत्मा को जलाता है और निखारता है 'प्रेम - पंथ ऐसो कठिन' ओशो के प्रश्नोत्तर प्रवचनों का अद्भुत संकलन है यह। इस में प्रेम पर विस्तृत चर्चा की गई है। प्रेम को ओशो निर्मोही मानते हैं। प्रेम न तो कब्जा
उज्जैन स्थित स्वम्भू भगवान महाकाल के आविर्भाव के बारे में जानकारी |
हम सभी पढ़े । विवादों और अक्षय कुमार का पिछले कुछ समय से चोली दामन का नाता रहा है। अभी OMG 2 के टीज़र को प्रदर्शित हुए एक हफ्ता भी नहीं बीता कि यह फिल्म विवादों के घेरे में आ गई है। आज हम OMG 2 के विवाद से जुड़ी विभिन्न संभावनाओं का पता लगाएंगे और दाव
पौराणिक कथाओं का संग्रह
एक रूप में ज्ञानयोगी व्यक्ति ज्ञान द्वारा ईश्वरप्राप्ति मार्ग में प्रेरित होता है। स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित ज्ञानयोग में मायावाद,मनुष्य का यथार्थ व प्रकृत स्वरूप,माया और मुक्ति,ब्रह्म और जगत, अंतर्जगत, बहिर्जगत, बहुतत्व में एकत्व, ब्रह्म दर्शन,आ
ओशो अपनी किताब ध्यान योग, प्रथम और अंतिम मुक्ति में कहते हैं कि 'ध्यानयोग प्रथम और अंतिम मुक्ति' ओशो द्वारा सृजित अनेक ध्यान विधियों का विस्तृत व प्रायोगिक विवरण है। ध्यान में कुछ अनिवार्य तत्व हैः विधि कोई भी हो, वे अनिवार्य तत्व हर विधि के लिए आवष