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देवाधिदेव महादेव और शैलपुत्री पार्वती के साथ विवाह के बाद दीर्घकाल तक दोनों निर्जन वन में विहार करते रहे । एक दिन पार्वतीजी ने भगवान शंकर से कहा-'मैं एक श्रेष्ठ पुत्र चाहती हूँ ।' भगवान शंकर ने पार्वत

छल-कपट से प्राप्त की गई वस्तु कभी स्थायी नहीं रहती, उसका विनाश अवश्य होता है । रावण द्वारा छल से प्राप्त की गई सोने की लंका भी जल कर भस्म हो गई । जानें, सोने की लंका किसने बनवाई और किसके शाप के कारण ज

रामायण में सीता हरण के प्रसंग के बारे में तो सभी जानते हैं कि कैसे अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए रावण ने देवी सीता को छलपूर्वक हर लिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंकापति रावण

 सीता नवमी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सीता का प्राकट्य हुआ था। इस पर्व को "जानकी नवमी" भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की

बद्रीनाथ धाम का ब्रह्मकपाल तीर्थ गया से आठ गुना फलदायी है।पिंड दान के लिए भारतवर्ष क्या दुनियाँ भर से हिंदू  प्रसिद्ध गया पहुँचते हैं, लेकिन एक तीर्थ ऐसा भी है जहाँ पर किया पिंडदान गया से भी आठ ग

स्वभाव में ही किसी व्यक्ति का प्रभाव झलकता है। व्यक्तित्व की भी अपनी वाणी होती है जो कलम या जिह्वा के इस्तेमाल के बिना भी लोगों के अंतर्मन को छू जाती है।जिस प्रकार से कस्तूरी के बारे में लिखकर अथवा बत

हिन्दू संस्कृति की आस्था की आधार स्वरूपा माँ गंगा की उत्पति के बारे में अनेक मान्यताये हैं। हिन्दूओ की आस्था का केंद्र गंगा एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी के कमंडल से माँ गंगा का जन्म हुआ।एक अन्य मान

महाकवि सूरदास जिन्होंने जन-जन को भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से परिचित करवाया। जिन्होंनें जन-जन में वात्सल्य का भाव जगाया। नंदलाल व यशोमति मैया के लाडले को बाल गोपाल बनाया। कृष्ण भक्ति की धारा में

इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसको सपने नहीं आते होंगे. सपने आना मनुष्य के दिमाग की एक उपज या कल्पना भी हो सकती है. अक्सर हम अपनी रोजाना जिंदगी में कुछ ऐसी स्तिथियों या घटनायों से गुजरते ह

लीलाधारी भगवान कृष्ण की लीला अद्भुत हैएक बार तो श्रीराधाजी की प्रेम परीक्षा लेने के लिए नारी बन उनके महल में पहुंच गए. श्रीगर्ग संहिता से सुंदर कृष्ण कथाशाम को श्रीराधाजी अपने राजमंदिर के उपवन में सखि

महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी कभी-कभी खड़े हो कर कौरवों की सेना की तरफ घूर कर देखते तो उस समय कौरवों की सेना तूफान की गति से युद्ध भूमि को छोड़ कर भाग जाती, हनुमानजी की दृष्टि का सा

 चराचर जगत में रुक्मिणी और राधा का संबंध श्रीकृष्ण से है। संसार रुक्मिणी जी को श्रीकृष्ण की पत्नी और राधा जी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में मानता है। आम जगत में रुक्मिणी और राधा की यही पहचान

 12वीं शताब्दी के लगभग काकतीय वंश के राजा प्रताप रुद्र द्वितीय अपने राज्य से बहुत दूर घने जंगल में शिकार खेलने गए और शिकार खेलते खेलते ही अँधेरा हो गया। जब वह बहुत थक गए तो उन्हें उन्होंने सोचा

श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं—‘जब यह जगत न था, तब मैं था। जब यह जगत दीख रहा है, तब भी सब में चैतन्य रूप में मैं ही रहता हूँ। जब इस जगत का विनाश होगा, तब भी मैं ही रहने वाला हूँ। जगत में म

समुद्र-मंथन से जो चौदह रत्न निकले उनमें एक कामधेनु थी। सभी गौएं कामधेनु ही की संतानें हैं। सभी कामनाओं व सुखों को देने वाली होने के कारण गाय कामधेनु कहलाती है । गाय का रोम-रोम सात्विकता और पवित्रता से

घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो ज

देवो के देव महाकाल की काली, काली से अभिप्राय समय अथवा काल से है. काल वह होता है जो सब कुछ अपने में निगल जाता है। व काली भयानक एवं विकराल रूप वाले श्मशान की देवी. वेदो में बताया गया है की समय ही आत्मा

वैदिकधर्म(हिन्दूधर्म)केदेवता33 (आदित्य12+वसु8+रुद्र11+अश्विनीकुमार2)आदित्य 12 धाता, मैत्र, अर्यमा,त्वष्टा,इन्द्र,भग, वरुण, अंशु, विवस्वान्, पूषा, सविता और विष्णु।वसु 8आप,ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल

 1 - जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं , जिन भावो से हम अपने शरीर के अंग एवं उनसे संबन्धित बीमारी , रिश्तेदार , रोजगार , आमदनी , लाभ , हानि इत्यादि के बारे में जानकार उनसे संबन्धित समस्याओं का समाध

शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे. विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था.....मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं. इसलिए क्यों न भोलेनाथ को प्रसन्नकर

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