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अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022

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‍‍‍‍‍‍‍बेनाम सा सफर ये क्यूँ रूक नहीं जाता
जो ठहरा है वो बीत क्यूँ नहीं जाता
कब से दफन है इक तूफान भीतर
ये आंसुओं का समन्दर क्यूँ सूख नहीं जाता..

आईना बदलता रहा सूरत हर घड़ी
इक तेरा चेहरा है जो मेरी आँखों से नहीं जाता
यहां हर ज़ख्म की अपनी दास्तां है
हर दर्द पूछता है कि तू मर क्यूँ नहीं जाता..

टूटने को टूटी है हर सब्र की दरिया
ये जो रास्ते मे पत्थर है क्यूँ बह नहीं जाता
उम्मीदों का कारवाँ तो कब का गुजर गया
पीछे छूटा वो खंडडर  क्यूँ गिर नहीं जाता...

बेनाम सा सफर ये क्यूँ रूक नहीं जाता
जो ठहरा है वो बीत क्यूँ नहीं जाता......

कविता रावत

कविता रावत

इसी का नाम जिंदगी है ख्वाहिश की न उम्र न शक्ल होती है बहुत सुन्दर

10 मार्च 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Amazing 👏👏👏👏

27 फरवरी 2022

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रचनाएँ
एक अधूरी ख्वाहिश
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अधूरे सपने अधूरा ख्वाब और ना मुक्कमल हुई जिंदगी के एहसासों को कोरे काग़ज़ों पर उतारने की अधूरी कोशिश की है... टूटे सपनों में कितनी खनक होती है ये शायद आप मेरी किताब को पढ़ के समझ पायें..!!
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अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022
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‍‍मै एक दिन सहरा ना बन जाऊं‍‍जिस तरह अब बढ़ रही है प्यास मेरी मै कोई दरिया ना पी जाऊंइक मुद्दत से ढक रखा है आईनाअब देखूं जो मैं कहीं डर ना जाऊंसंभालना होश मुश्किल है साहिल परआती जाती लहरों से लड

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अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022
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‍‍हर आईना यहां रोता हैकहाँ हर दरिया का साहिल होता है💔इक मुद्दत से मसला रहा फकीरी का भी मजहब होता है 💔दुआएँ भी समझती है ज़ज्बात दिलों के कहाँ हर कोई इश्क के काबिल होता है💔कुछ फरेब ने

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अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022
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‍‍‍‍‍‍‍बेनाम सा सफर ये क्यूँ रूक नहीं जाताजो ठहरा है वो बीत क्यूँ नहीं जाताकब से दफन है इक तूफान भीतरये आंसुओं का समन्दर क्यूँ सूख नहीं जाता..आईना बदलता रहा सूरत हर घड़ीइक तेरा चेहरा है जो मेरी आँखों

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