shabd-logo

अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022

27 बार देखा गया 27
‍‍मै एक दिन सहरा ना बन जाऊं‍‍

जिस तरह अब बढ़ रही है प्यास मेरी 
मै कोई दरिया ना पी जाऊं

इक मुद्दत से ढक रखा है आईना
अब देखूं जो मैं कहीं डर ना जाऊं

संभालना होश मुश्किल है साहिल पर
आती जाती लहरों से लड ना जाऊं

हर रात काटता रहा ग़म ए हिज्र में मैं
उजालों को देखूं तो कहीं जल ना जाऊं

‍‍मै एक दिन सहरा ना बन जाऊं....
3
रचनाएँ
एक अधूरी ख्वाहिश
0.0
अधूरे सपने अधूरा ख्वाब और ना मुक्कमल हुई जिंदगी के एहसासों को कोरे काग़ज़ों पर उतारने की अधूरी कोशिश की है... टूटे सपनों में कितनी खनक होती है ये शायद आप मेरी किताब को पढ़ के समझ पायें..!!
1

अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022
2
1
0

‍‍मै एक दिन सहरा ना बन जाऊं‍‍जिस तरह अब बढ़ रही है प्यास मेरी मै कोई दरिया ना पी जाऊंइक मुद्दत से ढक रखा है आईनाअब देखूं जो मैं कहीं डर ना जाऊंसंभालना होश मुश्किल है साहिल परआती जाती लहरों से लड

2

अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022
1
1
1

‍‍हर आईना यहां रोता हैकहाँ हर दरिया का साहिल होता है💔इक मुद्दत से मसला रहा फकीरी का भी मजहब होता है 💔दुआएँ भी समझती है ज़ज्बात दिलों के कहाँ हर कोई इश्क के काबिल होता है💔कुछ फरेब ने

3

अधूरी ख्वाहिश

27 फरवरी 2022
2
1
2

‍‍‍‍‍‍‍बेनाम सा सफर ये क्यूँ रूक नहीं जाताजो ठहरा है वो बीत क्यूँ नहीं जाताकब से दफन है इक तूफान भीतरये आंसुओं का समन्दर क्यूँ सूख नहीं जाता..आईना बदलता रहा सूरत हर घड़ीइक तेरा चेहरा है जो मेरी आँखों

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए