अधूरे सपने अधूरा ख्वाब और ना मुक्कमल हुई जिंदगी के एहसासों को कोरे काग़ज़ों पर उतारने की अधूरी कोशिश की है... टूटे सपनों में कितनी खनक होती है ये शायद आप मेरी किताब को पढ़ के समझ पायें..!!
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मै एक दिन सहरा ना बन जाऊंजिस तरह अब बढ़ रही है प्यास मेरी मै कोई दरिया ना पी जाऊंइक मुद्दत से ढक रखा है आईनाअब देखूं जो मैं कहीं डर ना जाऊंसंभालना होश मुश्किल है साहिल परआती जाती लहरों से लड
हर आईना यहां रोता हैकहाँ हर दरिया का साहिल होता है💔इक मुद्दत से मसला रहा फकीरी का भी मजहब होता है 💔दुआएँ भी समझती है ज़ज्बात दिलों के कहाँ हर कोई इश्क के काबिल होता है💔कुछ फरेब ने
बेनाम सा सफर ये क्यूँ रूक नहीं जाताजो ठहरा है वो बीत क्यूँ नहीं जाताकब से दफन है इक तूफान भीतरये आंसुओं का समन्दर क्यूँ सूख नहीं जाता..आईना बदलता रहा सूरत हर घड़ीइक तेरा चेहरा है जो मेरी आँखों