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दिल को भी पतंग करते हैं

3 सितम्बर 2022

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ये सजदा तो जब हम तुम 

संग संग करते हैं ।

तो चलो अब से 

दिल को भी पतंग करते हैं ।।


तमाम कायदे कानूनों से 

हो करके अलहदा ।

लहू की तरह हम भी

अपना एक रंग करते हैं ।।


जो भी है ज़ुबाँ पर 

वही तुम्हारे दिल में भी है ।

आज़माइश में चलो 

मुहब्बत की जंग करते हैं ।।


जान जाते हैं हाल-ए-दिल

"साहिल" इसी से सबका ।

बाद मुलाक़ात उठने का 

वो क्या क्या ढंग करते हैं ।।


------- देवराज पटवाल "साहिल"

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रचनाएँ
हर लम्हा
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यूं ही लिखते-लिखते क्या-क्या लिख गया, उसे ही पेश किया है और हौसला आफजाई की खातिर थोड़ी सी दाद का तलबगार हूँ ।
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फ़क़त एक शेर

7 अगस्त 2022
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दर पे मेरे तुम बेख़ौफ़ आना, जब तुम्हें छोड़ दे सारा ज़माना । आकबत में भी तुमको मिलेंगे, कुछ ऐसे भी हमको आज़माना ।। देवराज पटवाल "साहिल"

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ये सजदा तो जब हम तुम  संग संग करते हैं । तो चलो अब से  दिल को भी पतंग करते हैं ।। तमाम कायदे कानूनों से  हो करके अलहदा । लहू की तरह हम भी अपना एक रंग करते हैं ।। जो भी है ज़ुबाँ पर  वही तु

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3 सितम्बर 2022
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3 सितम्बर 2022
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