ये सजदा तो जब हम तुम
संग संग करते हैं ।
तो चलो अब से
दिल को भी पतंग करते हैं ।।
तमाम कायदे कानूनों से
हो करके अलहदा ।
लहू की तरह हम भी
अपना एक रंग करते हैं ।।
जो भी है ज़ुबाँ पर
वही तुम्हारे दिल में भी है ।
आज़माइश में चलो
मुहब्बत की जंग करते हैं ।।
जान जाते हैं हाल-ए-दिल
"साहिल" इसी से सबका ।
बाद मुलाक़ात उठने का
वो क्या क्या ढंग करते हैं ।।
------- देवराज पटवाल "साहिल"