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दिनचर्या

12 जून 2023

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एक इंसान की हैसियत से आप अपने घर, परिवार, संस्था,व्यवसाय या रूचि के अनुसार दिन भर काम काज में लगते होंगे. अपनी और परिस्थिति कीजरूरत के अनुसार हम हर वक्त कुछ न कुछ करते ही रहते हैं. यहाँ में कुछ ऐसे कार्यों का सुझाव देना चाहता हूँ जो आपको दिन में कमसे कम एक बार तो करने चाहिए. इन कार्यों के लिए प्रतिदिन आपने कितना समय दिया इनका विशेष अंतर नहीं पड़ता. फर्क पड़ता है तो इस बात से कि दिन में कम से कम एक बार तो आप इस प्रक्रिया से गुजरे या आपने उस पर
विचार किया. सुझाये गए हर कार्य में क्या करना है और कितना करना है इसका फैसला तो
आप अपने विवेक से कर ही लेंगे.

व्यायाम- अपनेशरीर, खुराक और काम के हिसाब से कुछ न कुछ व्यायाम अवश्य अपनी दिनचर्या
में रखें. अपनी जरूरतों और क्षमताओ को ध्यान में रखते हुए किसी उचित सलाहकार से विमर्श कर के आप अपने लिए रोज करने वालेव्यायाम का चुनाव कर सकते है. या फिर आप  सैर, तैरना, दौड़ना, उछल कूद करना, रस्सी /पेड़/पहाड़ पर चढ़ना इत्यादि साधारण काम अपनी दिनचर्या मैं डाल सकते है. इसके लिए आपको किसी व्यायामशाला या योग आश्रम में जाने की जरूरत नहीं है. अगर आप ये करने
में समर्थ है तो ये एक अच्छी बात है. आप व्यायाम को अकेले कर सकते है या फिर दूसरों के साथ किसी खेल के माध्यम से भी कर सकते हैं. आप कितने भी व्यस्त क्यों न रहते हों , कुछ पलों के लिए सब कुछ भूल कर शारीरिक श्रम या व्यायाम का लुत्फ़ जरूर लें.

विश्राम– सोने से या आराम करने से हम तरोताजा हो जाते हैं और हमारे शरीर की जरूरतें पूरी हो जाती है .२४ घंटों में सात से आठ घंटे की नींद और हर एक/दो घंटे के काम के बाद कुछ मिनट का विश्राम आपको हमेशा स्फूर्तिमान रखेगा . शुरू में अपनी व्यस्तताओं के चलते यह समय निकलना मुश्किल लगता है पर अगर आप अपनी प्राथमिकताओं के हिसाब से अपनी दिनचर्या में बदलाव लेकर इसे संभव कर सकते है.इस काम में योग में प्रचिलित शव आसन /योग-निद्रा’की तकनीक की भी सहायता ली जा सकती है.

अभिव्यक्ति- हम दिन भर दूसरों से बोल कर या फिर लिख कर या अपने हाव-भाव से बहुत कुछ
व्यक्त करते रहते है. पर हमारी अधिकतर अभिव्यक्ति या तो मजबूरी में (ये मजबूरी अपने काम को लेकर या किसी से सम्बन्ध को लेकर या कोई डर या लालच हो सकती है) होती है या फिर हम कुछ छुपाने के लिए कुछ और दिखाते है. दिन में एक बार सच्चे मन से हमें वो कहना चाहिए जो हम अपनी खुशी से और मर्जी से कहना चाहते है न की दूसरों को जो सुनाना चाहते है. इस काम के लिए डायरी लिखना, चित्र बनाना ,गीत गाना या अपने किसी प्रियजन से अपने मन की बात करना अच्छा माध्यम हो सकते है. माध्यम कोई भी हो दिन में एक बार अपने आप को खाली कर दें जिससे मन में कोई गांठ न रह जाय जो आगे चल कर नासूर बन सकती है.

अध्ययन –यूं तो आज के समय में हम अनेको प्रकार की सूचनाओं में दबे रहते है जो फोन,टीवी
,कंप्यूटर ,किताबो आदि के माध्यम से हमारे ऊपर बरसती रहती है पर इनमे से कितनी हमारे लिए उपयोगी है? दिन में एक बार कुछ ऐसी चीज के अध्ययन का नियम बनायें जो आपकी पसंद की हो और जिससे आप आनंदित हो सकें. ये आपकी मनपसंद किताब, पत्रिका, फिल्म या टीवी प्रोग्राम हो सकता है या आपको अगर नसीब हो तो किसी नदी, समुद्र, जंगल या पहाड़ के किनारे बैठ कर वहां होने वाली प्राकृतिक हलचल का अध्ययन कर सकते है.

धन्यवाद- ये एक जादुई शब्द है जो आपकी जिन्दगी बदलने की ताकत रखता है. किसी भी बुरी से
बुरी परिस्थिति में भी जीवन से हमें इतना कुछ मिलता है की हम एक और सांस जी जाते है. पर इस सफ़र में हम जो भी हमें मिलता है सब कुछ अपना हक़ समझ कर इस्तेमाल किये जाते हैं. ऐसे में कम से कम एक बार तो धन्यवाद् कह कर देखें दिन में- अगर आप आस्तिक है तो ईश्वर को कहें और अगर नास्तिक है तो अपने आस पास किसी इंसान या जीव या वस्तु को ढूँढ कर देखें जिससे आपको कुछ मिला हो. आपको ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ेगा.

सोचना- हम में से अधिकतर लोग सोचने को कोई काम ही नहीं समझते. जबकि शायद जीवन में
सबसे ज्यादा इसी काम को करते है. स्वाभाविक रूप से हम हर वक्त अपने विचारों से घिरे रहते है. दैनिक नियम बना कर इसी शक्ति का हम अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते है. दिन में कुछ पलों के लिए ही सही सोचने के लिए बैठ जायं सिर्फ अपने साथ. आप शायद पूंछेंगे की क्या सोचना है? तो इसका उत्तर तो आप ही दे सकते है. कोई भी वो चीज जहाँ पर नियमित विचार करने से कोई हल निकल सकता है उस पर विचार किया जा सकता है जैसे- आपके उद्देश्य, आपकी समस्याएं, आपका जीने का अंदाज़, आपके सपने, आपकी जिम्मेदारियाँ या फिर आपके कर्तव्य.

जश्न- किसी विशेष घटना या दिन पर लोग एक दूसरे को जश्न के लिए बुलाते है/ पार्टी देते हैं. दिन भर के काम के बाद आप खुद भी कुछ पलों की पार्टी के हकदार है. ये कोई मुश्किल काम नहीं है. ये पल आप अकेले मना सकते है या उन उन लोगों को शामिल कर सकते हैं जिन्हें आप दिल से अपना मानते हैं . अपना मनपसंद संगीत सुनें, गप्प मारें, नाचें/झूमें और मनपसंद खाना खाएं- खिलाएं.

तैयारी- अगर काम में हमारे मातहत लोग होते है तो अक्सर हम उनके काम का विश्लेषण करते हैं, पर क्या हम यह सोचने की कोशिश करते है की दिन भर हमने क्या क्या किया और उसे अगली बार कैसे बेहतर कर सकते है. सोने से पहले एक बार अपनी दिनचर्या का आकलन करना और अगले दिन के तैयारी करना अगर हम अपनी आदत में डाल लें तो ज़िंदगी बड़ी आसान हो जायेगी.

लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित (से. नि.) की अन्य किताबें

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने सर 👌👍🙏 मेरी भी पुस्तक पढ़कर समीक्षा जरूर करिए 🙏

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