मौत पर निकली आह !
*!!मौत पर निकली आह!!*कोई आह भरे,कोई दाह करे।कोई रो-रो के रोज विहान करे कोई दोषी माने ईश्वर को ।कोई भाग्यहीन होना माने।सबके आंशू में एक दंश ।हे देने वाले क्यों तु दिया ।लेना ही था गर प्राण तुम्हे।मेरे प्राणों को ले लेता ।हे वायु की दाता सरकारें ।प्राणों की दाता सरकारें ।यदि प्राण से बढाकर पैसा है।तो