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डॉ.अजय कुमार मिश्र की डायरी

डॉ.अजय कुमार मिश्र

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do ajay kumar mishra ki dir

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पुस्तक के भाग

1

मौत पर निकली आह !

30 सितम्बर 2017
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*!!मौत पर निकली आह!!*कोई आह भरे,कोई दाह करे।कोई रो-रो के रोज विहान करे कोई दोषी माने ईश्वर को ।कोई भाग्यहीन होना माने।सबके आंशू में एक दंश ।हे देने वाले क्यों तु दिया ।लेना ही था गर प्राण तुम्हे।मेरे प्राणों को ले लेता ।हे वायु की दाता सरकारें ।प्राणों की दाता सरकारें ।यदि प्राण से बढाकर पैसा है।तो

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मनोयोग से राजयोग

1 अक्टूबर 2017
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------------------------------------ भारतीय मनीषियों ने मनुष्य के एकादश इंद्रियों में सबसे शक्तिशाली मन को माना है।और जो व्यक्ति मन पे विजय प्राप्त कर लेता है वह सर्वस्व जगत पर विजय प्राप्त कर लेता है।इसी मन को आधार बनाकर वेदांत दर्शन *- मनुष्य के शरीर को नाव, मन को शरीर रूपी नाव का नाविक तथा संपू

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