फूल खिलेंगे तो बहार भी आयेंगे
टूटेंगे जब पत्ते तो पतझड़ भी कहलायेंगे
बिखरे है जो आशियाने फिर से सिमट जायेंगे
तुम्हें याद दिलाने लौट के फिर आयेंगे !
साज है हम यूं ही बजते जायेंगे
बनके खनक तेरे दिल में धड़क जायेंगे
सोचोगी जब मुझे जरा ख्वाबों के आइने में
हम वो आइना है जो टूटके भी तेरा अश्क दिखायेंगे !
बाते तो बहुत है इश्क का जमाने में
तेरे इश्क का हम भी एक फसाना सा बनायेंगे
निकलोगी जब मेरे खयालों की गलियों से
उन गलियों में ये संगमरमर सा दिल हम बिछायेंगे !
महफिले यूं ही सजती रहेंगी तलबगारो की
गजले हम भी बनायेंगे तेरे खयालों की
शिकवे सिकायतों में ना बीत जाये ये वक्त
आओ मिलकर थोड़ा इश्क ही कर ले बहाने से !